महीनों तक जेल में रहे डॉक्टर कफील खान ने अपनी पीड़ा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि वो जेल में रहे, पिटाई हुई, भूखा रखा और नौकरी चली गई, मगर उन्हें योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने जो सबसे ज्यादा दर्द दिया है वो उन्हें अपने बच्चों को बड़े होता देखने से वंचित कर दिया। खान ने दिल्ली में इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में स्थित कॉफी शॉप में ये बात कही। यहां उनके सबसे छोटे भाई ने गुरुवार को शादी कर ली। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत डॉक्टर खान के खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया था।

कोर्ट के फैसले पर कफील कहते हैं, ‘उस दिन मैंने अपने भाई के विवाह के लिए खरीदी हुई शेरवानी पहनी थी। कोर्ट का फैसला आने पर मैं बहुत अभिभूत था।’ बता दें कि 2017 के सितंबर महीने में कथित तौर ऑक्सीजन कमी के चलते गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 63 बच्चों की मौत हो गई। खान तब उस वॉर्ड के इंचार्ज थे और मामला सामने आने पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

इसके बाद साल 2018 में एक जिला अस्पतला में ‘उपद्रव मचाने’ के आरोप में बहराइच पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद इस साल जनवरी में उन्हें अलीगढ़ में सीएए विरोधी भाषण देने पर गिरफ्तार कर लिया गया और कुछ दिनों के भीतर ही उनपर एनएसए लगा दिया गया। उन्हें इस साल सितंबर में कोर्ट ने रिहा करने के आदेश दिए जिसके बाद वो अपने परिवार के साथ जयपुर शिफ्ट हो गए।

कफील खान कहते हैं कि इन सबके बावजूद मेरी मां बहुत मजबूत हैं मगर मुझे लगता है कि उन्हें मानसिक पीड़ा मिली जब मैं जेल बाहर आया। उन्होंने मुझसे कहा कि ‘अब बस करो।’ इसलिए मैंने अपने परिवार के साथ समय बिताने का फैसला लिया और मैं जयपुर चला गया। डॉक्टर खान कहते हैं, ‘मैं उत्तर प्रदेश से भाग नहीं रहा हूं। मैं डरा नहीं हूं। मैं वापस यूपी लौटूंगा। गोरखपुर में मेरा जन्मस्थान है और मैं इसे नहीं छोड़ने जा रहा।’