“क्या कहूँ तुम्हें”, मेरी चौथी किताब है। डेढ़ साल से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा हूँ और पिछले एक साल में अपनी चार किताब प्रकाशित हो चुकी है। पाँचवी भी इसी साल आएगी। इस दौरान कुछ रिसर्च पेपर और आलेख भी प्रकाशित हुआ। कई मंचों से अलग-अलग विषयों पर बोलने का मौका भी मिला। मैं इसका पूरा श्रेय अपने विभाग और सभी शिक्षकगण को हमेशा देता हूँ। उनके सहयोग और दिखाए मार्ग के बिना ये सब कहाँ संभव था। आज भी मुझे HoD सर की एक बात याद है और उनके उसी वक्तव्य को लेकर काम करता हूँ।
“पत्रकारिता वाले छात्रों को जॉब ढूंढने की जरूरत नहीं होती है। आपके अंदर काम करने का जुनून होना चाहिए बाकी तो जहां रहोगे खुद ही कर लोगे बस लिखना और अच्छा बोलना आना चाहिए।”
उनका ये मार्गदर्शन चौथी किताब तक मुझे खड़ा कर दिया। शुक्रिया आप सभी का….शुक्रिया विभाग और सभी शिक्षकगण को, आपके बिना ये संभव नहीं था। आपके दिखाए मार्ग पर चलने की कोशिश कर रहा हूँ। उम्मीद और पूर्ण विश्वास है आप सब यूहीं मार्गदर्शन करते रहेंगे।
– दीपक राजसुमन