कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने कक्षा 7 के छात्र छात्राओं के इतिहास के सिलेबस में बदलाव करते हुए इसमें से वो चैप्टर हटा दिया है, जो मैसूर के शासक टीपू सुल्तान और उसके पिता हैदर अली पर आधारित था। सरकार ने बच्चों का अकादमिक सिलेबस कम करने के मद्देनजर ये निर्णय लिया है क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण आपदा के बीच क्लासेज नहीं चल रही हैं। हालाँकि, कक्षा 6 और 10 में पढ़ाया जाने वाला ‘टाइगर ऑफ मैसूर’ चेस्टर फिलहाल बना रहेगा।

कर्नाटक टेक्स्ट बुक सोसाइटी के डायरेक्टर मद्दे गौड़ा ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण स्कूलों के खुलने में देरी हो रही है और इसीलिए छात्रों का सिलेबस 30% कम किया जा रहा है ताकि उन पर से बोझ कम हो। उन्होंने बताया कि इसी क्रम में कक्षा 7 में पढ़ाए जाने टीपू सुल्तान वाले चैप्टर को निकाल बाहर किया

गया है। उन्होंने कहा कि टीपू सुल्तान का चैप्टर हटाने से छात्रों को कोई हानि नहीं होगी।

इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि छात्रों ने टीपू सुल्तान के बारे में कक्षा 6 में ही पढ़ रखा है और कक्षा 10 में फिर से उसके बारे में पढ़ेंगे ही, ऐसे में इसे हटाए जाने से कोई नुकसान नहीं होगा। ‘डिपार्टमेंट स्टेट एजुकेशन रिसर्च एण्ड ट्रैनिंग’ (DSERT) की वेबसाइट पर कम हुए सिलेबस को अपलोड कर दिया गया है। यहाँ से संसाधन लेकर ऑनलाइन पढ़ाई होगी। शिक्षक और छात्र इसका फायदा उठा सकेंगे।

इस फैसले ने कांग्रेस को नाराज कर दिया है और उसने इसका विरोध किया है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सांप्रदायिक राजनीति खेल रही है और চ में उसने टीपू सुल्तान पर आधारित चित्र को

बच्चों के सिलेबस से हटा दिया है। राज्य की विपक्षी पार्टी ने कहा कि भाजपा अब शिक्षा में सांप्रदायिकता घुसा रही है। हालाँकि, लेखक बंगारु रामचन्द्रप्पा की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञों की कमेटी ने नवंबर 2019 में ही कर्नाटक सरकार को टीपू सुल्तान को सिलेबस से हटाने की सलाह दी थी।