ये तेरी एजेंसी-ये मेरी एजेंसी? क्या देश में जांच एजेंसियों की स्थिति अब कुछ ऐसी हो गयी है? और यदि यह स्थिति इसी तरह बढ़ती गयी तो कौन किस जांच एजेंसी पर विश्वास करेगा और क्यों? क्योंकि ऐसे में तो हर जांच एजेंसी पर सवाल अपने आप खड़े होने लगेंगे!

यह सवाल फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या को लेकर चल रही जांच पर ही नहीं खड़ा हुआ है. राजस्थान में विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त को लेकर बीजेपी नेताओं के जो ऑडियो टेप आये हैं, उनकी जांच में भी यही सवाल उठ रहा है. केरल में सोने की तस्करी के मामले में भी यही हुआ. पश्चिम बंगाल के अनेक मामलों में यह सवाल उठाया जा रहा है कि जांच सीबीआई को सौंप दी जाए. लिहाजा पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे अनेक राज्यों ने इसे केंद्र सरकार की बेजा दख़लअंदाज़ी कहते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के कामकाज पर ही अंकुश लगा दिया

सीबीआई पर अंकुश लग गया तो राजस्थान के एक बागी विधायक भंवर लाल शर्मा ने जयपुर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी कि ‘ऑडियो टेप’ की जांच एनआईए को दी जाए! विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग या उनके दल-बदल को “राष्ट्रीय सुरक्षा” से कैसे जोड़ा जा सकता है, क्योंकि एनआईए का गठन राष्ट्रीय सुरक्षा और देशद्रोह से संबंधित मुद्दों की जांच करने के लिए किया गया है.

सभी केंद्रीय एजेंसियों को अगर स्थानीय पुलिस के कामकाज की जगह लगाया जाएगा तो केंद्रीय जांच एजेंसियों की विशिष्टता पर ही सवाल खड़े होने लग जाएंगे! वैसे, सीबीआई का कामकाज कैसा है, इसे लेकर किसी नेता या जनता ने ही नहीं, देश के सुप्रीम कोर्ट ने भी अच्छी-खासी टिप्पणियां की हैं.

सुशांत सिंह मामले में उनके पिता ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक और मुख्यमंत्री को पहले पत्र भी दिया था, जिसमें निष्पक्ष जांच कराने की बात कही गयी थी. इसके बाद उन्होंने पटना में एक्ट्रेस और सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाई. उन्होंने एक्ट्रेस पर सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने, पैसों को ट्रांसफर करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए.

ईडी का दख़ल

मामला दर्ज होने पर बिहार पुलिस मुंबई पहुंच गयी और यहां की पुलिस से सहयोग करने की बात कही. एफ़आईआर में पैसों के लेन-देन के आरोप थे, लिहाजा केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में दख़ल देकर जांच शुरू कर दी. अभिनेत्री रिया, उसके पिता और भाई के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज हुआ. रिया चक्रवर्ती ने वीडियो जारी करके कहा है कि सच की जीत होगी. रिया ने कहा, मुझे भगवान और न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है.

इस मामले में अब तक मुंबई पुलिस ने निर्देशक संजय लीला भंसाली, फिल्म समीक्षक राजीव मसंद, अभिनेत्री संजना सांघी, रिया चक्रवर्ती, कास्टिंग निर्देशक शानू शर्मा, फ़िल्मकार मुकेश छाबड़ा और आदित्य चोपड़ा समेत कई बॉलीवुड हस्तियों, सुशांत के परिवार और उनके रसोइए समेत करीब 40 लोगों के बयान दर्ज किए हैं.

जांच के साथ-साथ राजनेताओं की बयानबाजी भी जारी है और इस बयानबाजी ने मामले को राजनीतिक रंग दे दिया है. ऐसे में सवाल यही उठता है कि इस मामले की सच्चाई सामने आएगी या यह सिर्फ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का खेल बनकर ही रह जाएगा! बहरहाल, सुशांत सिंह आत्महत्या प्रकरण की उनके पिता द्वारा उचित जांच की मांग किया जाना किसी भी दृष्टिकोण से गलत नहीं कहा जा सकता.

लेकिन जिस तरह से बिहार सरकार में शामिल बीजेपी के दर्जनों विधायकों, मंत्रियों व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, सांसद अजय निषाद ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस मामले की सीबीआई जांच कराने जी मांग की है, उससे यह मामला किसी और ही दिशा में बढ़ता दिखाई दे रहा है. कई केंद्रीय मंत्री भी सीबीआई से जांच की मांग कर रहे हैं. इसे देखते हुए यह सवाल उठने लगे हैं कि इस आत्महत्या की जांच को क्या राजनीतिक रंग दिया जा रहा है?

सीबीआई जांच हो: फडणवीस

शुक्रवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने को लेकर ‘विशाल जन भावना’ है लेकिन राज्य की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ऐसा नहीं कर रही है. उन्होंने कहा, ‘सुशांत सिंह राजपूत मामले में लोगों के मन में बहुत भावनाएं हैं. लोगों को लगता है कि कुछ छिपाया जा रहा है, नए खुलासे हुए हैं. इसलिए, लोग इसमें सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. फडणवीस ने कहा, लेकिन राज्य सरकार मामले में सीबीआई जांच से इनकार कर रही है. फडणवीस से लेकर बिहार तक के तमाम नेताओं द्वारा आये बयानों के बाद सवाल यह सामने आता है कि आखिर क्यों मुंबई पुलिस की जांच को शक के दायरे में खड़ा किया जा रहा है, जिसकी तुलना स्कॉटलैंड यार्ड से की जाती है?

क्यों फडणवीस इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की बात कर रहे हैं? क्यों उन्हें महाराष्ट्र या मुंबई पुलिस की जांच प्रणाली पर शक हो रहा है? जबकि कुछ महीनों पहले तक वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ही नहीं गृह मंत्री भी रहे हैं. फडणवीस के बयान से इस जांच को लेकर चल रही चर्चाओं ने नया रंग ले लिया. फडणवीस को जवाब देने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे स्वयं आगे आये. ठाकरे ने कहा कि राज्य की पुलिस बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के मामले की जांच करने में सक्षम है. केस को ट्रांसफर किया जाना, उनके लिए (मुंबई पुलिस) अपमानजनक होगा.

उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस मामले में किसी को भी राजनीति नहीं करनी चाहिए. उद्धव ने देवेंद्र फडणवीस पर यह कहते हुए निशाना साधा कि वे पांच साल तक सीएम के रूप में काम करने के बावजूद मुंबई पुलिस की क्षमता पर संदेह कर रहे हैं. ठाकरे ने कहा, मैं सुशांत सिंह राजपूत के प्रशंसकों को बताना चाहूंगा कि उन्हें मुंबई पुलिस पर भरोसा करना चाहिए और आपके पास जो भी जानकारी (मामले के बारे में) है, उसे साझा करें. इससे पहले महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने भी कहा था कि मुंबई पुलिस मामले की जांच करने में सक्षम है और इसलिए सीबीआई जांच की ज़रूरत नहीं है.

दूसरी ओर, सुशांत का परिवार, फैन्स और बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल भी दाखिल की गई थी, जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि मुंबई पुलिस को जांच करने दी जाए. लेकिन सोशल मीडिया पर घमासान और नेताओं की बयानबाज़ी का दौर नहीं थम रहा है.

दरअसल, सुशांत सिंह की आत्महत्या के बाद सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर बॉलीवुड के कामकाज को लेकर बहस का नया दौर चल पड़ा है. बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों ने अपनी नाराजगी जताई तथा संवेदनाएं व्यक्त की. लेकिन कुछ समय के बाद इस मुद्दे ने नया रंग ले लिया. अब जब सुशांत सिंह के प्रति संवेदनाओं से आगे जाकर, जांच सीबीआई को देने की मांग उठने लगी तो, कुछ लोग इसे राजनीति कहने लगे और आशंकाएं जताने लगे कि कहीं इसका संबंध आने वाले बिहार चुनाव से तो नहीं है?