महात्मा गाँधी जब अफ्रीका में थे तब उनके पास उनके पास एक छोटा बच्चा आया, गांधीजी ने एक नयी पेंसिल बच्चे को लिखने के लिए दी. लिखते-लिखते जब पेंसिल छोटी हो गयी तो बच्चे ने सोचा कि अगर मैं इस पेंसिल को फ़ेंक दूँ तो मुझे नयी पेंसिल मिल जायेगी.

ऐसा सोचकर उसने पास ही की झाड़ियों में वह पेंसिल फ़ेंक दी. उसने गांधीजी से नयी पेंसिल मांगी. गांधीजी ने उसे पुरानी छोटी पेंसिल लाने को कहा. बच्चे ने कई बहाने बनाये पर आखिरकार उसे झाड़ियों से ढूंढ कर वह छोटी पेंसिल लानी पड़ी.

पेंसिल देखकर गांधीजी ने कहा, ‘अभी भी यह छोटी पेंसिल किसी ना किसी के काम आ सकती है.’ बच्चा समझ गया और उसने उसी पेंसिल से लिखना शुरू कर दिया.

गांधीजी जानते थे कि देश में ऐसे कई परिवार हैं जिन्हें दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता. पढ़ना – लिखना तो बहुत दूर की बात थी. इसलिए गांधीजी पैसे का महत्त्व बहुत अच्छे से जानते और समझते थे.

आजादी के समय देश की कुल जनसंख्या 34 करोड़ थी आज देश में सिर्फ गरीबो की जनसंख्या 80 करोड़ के आसपास है।

लेकिन खुद को फकीर कहने वाले हमारे पीएम यह सब नही समझते? जनता की टेक्स की गाढ़ी कमाई से अमेरिकी राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन की बराबरी करने के लिए लगभग साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये की कीमत के एयर इंडिया वन नामक 2 विमान खरीद लिया गये है।

जबकि इसकी कोई जरूरत ही नही थी पीएम पहले भी कोई कोई बैलगाड़ी से सफर नही कर रहे थे? उनके पास आवागमन के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं पहले से ही मौजूद थी।

बिना ये सोचे समझे कि हमारे पास 80 करोड़ लोग है जो गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रहे हैं, कोरोना के दौर में उनके लिए जीवन यापन दिन ब दिन मुश्किल हो रहा है भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा यह विमान खरीद लिया गया।

एयर इंडिया वन की उपरोक्त तस्वीर इस दौर की सबसे अश्लील तस्वीर है।