ऑस्ट्रेलिया की संसद में भारत में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ फैरेल के इस्तीफे की मांग की गई। ये मांग सांसद जेनेट राइस ने की। जेनेट ने अपनी इस मांग का कारण बैरी ओ फैरेल की हाल ही में हुई राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात को बताया।

जेनेट राइस ने इस मुलाकात को ऑस्ट्रेलिया के लिए अपमान बताते हुए कहा कि फैरेल “किसी भी देश के RSS से मिलने वाले दूसरे वरिष्ठ राजनयिक” हैं।

उन्होंने मानवतावाद परियोजना द्वारा आयोजित सत्रों में अपनी भागीदारी के बारे में बताते हुए कहा कि वहां भी चिंता का विषय आरएसएस था, जिसे

उन्होंने एक “फासीवादी संगठन” के रूप में वर्णित किया था। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि “वह एडोल्फ हिटलर द्वारा किए गए विनाशकारी नरसंहार की प्रशंसा करता है”।

अपने भाषण को जारी रखते हुए, जेनेट ने कहा, “समकालीन आरएसएस लोगों के अधिकारों पर अपनी हुकूमत जताता है।

बार-बार, आरएसएस ने भारतीय अभिव्यक्ति की आज़ादी, अधिकारों और सुरक्षा पर हमला किया है। आरएसएस देश के कुछ गैर-हिंदुओं विशेषकर मुस्लिम पृष्ठभूमि के लोगों के उत्पीड़न को बढ़ावा देता है”।

बता दें कि बैरी ओ फैरेल ने पिछले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी। उन्होंने अपनी इस मुलाकात की ट्विटर पर कुछ तस्वीरें भी शेयर की थीं।

इसके साथ उन्होंने आरएसएस की तारीफ़ करते हुए लिखा था, “आरएसएस कोविड-19 के दौरान समुदाय की सक्रिय तौर पर मदद कर रहा है। मैंने सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात की, जिन्होंने उन राहत कार्यों के बारे में जानकारी साझा की जो संगठन ने इस चुनौतीपूर्ण समय में पूरे भारत में किए हैं”।