भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था तो वहीं जदयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन, एक भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत नहीं पाया। इस वजह से नीतीश मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में किसी भी मुस्लिम को जगह नहीं मिल पाई, जबकि नीतीश कुमार के पिछले मंत्रिमंडल में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के तौर पर ख़ुर्शीद आलम थे, लेकिन इस बार वे भी हार गए।

बताया जा रहा है कि दिसंबर में कभी भी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है, जिसमें नीतीश कुमार किसी मुस्लिम को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हैं। लेकिन कैसे, किस मुस्लिम चेहरे को मंत्री बनाया जा सकता है? जदयू में इस वक्त पांच मुस्लिम एमएलसी हैं।

गुलाम रसूल बलियावी, कमरे आलम, गुलाम गौस, तनवीर अख्तर और खालिद अनवर। चर्चा है कि इन्हीं पांच में से किन्ही को नीतीश कुमार मंत्री बना सकते हैं।

पांच मुस्लिम चेहरे, जिनके मंत्री बनने की संभावना

  1. गुलाम रसूल बलियावी एमएलसी से पहले राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। जदयू के वरिष्ठ नेता होने के साथ-साथ भाजपा को आईना दिखाने में बलियावी आगे रहे हैं। हालांकि इनका कार्यकाल बहुत लम्बा नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार इनपर विश्वास जता सकते हैं।
  2. गुलाम गौस जदयू के वरिष्ठ नेता और अनुभवी हैं। सभी मुस्लिम नेताओं में सबसे ज्यादा राजनैतिक अनुभव रखने वाले गुलाम गौस हाल में ही एमएलसी बने हैं। जदयू इनपर दाव खेल सकती है।
  3. कमरे आलम राजद के वरिष्ठ नेता थे और राजद से एमएलसी थे, लेकिन विधान परिषद में राजद टूटा और एक बार में पांच एमएलसी जदयू में शामिल हो गए। ऐसे में नीतीश कुमार कमरे आलम को मंत्री बनाकर उन्हें इनाम दे सकते हैं।
  4. तनवीर अख्तर कांग्रेस से आये एमएलसी हैं। कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के बेहद करीबी माने जाने वाले तनवीर अख्तर को जदयू के संगठनों का भी बड़ा काम दिया गया है। ऐसे में तनवीर अख्तर भी मंत्री बनने की फेहरिस्त में शामिल हैं।
  5. खालिद अनवर पत्रकार से एमएलसी बने हैं। एक उर्दू अखबार के संचालन के साथ एमएलसी के पद पर भी हैं। खालिद अनवर एमएलसी बनने से पहले जदयू के सदस्य भी नहीं थे, जिसको लेकर सवाल भी उठे थे। लेकिन, इमारत-ए-शरिया का पूरा हाथ खालिद अनवर पर होने की वजह से इनके भी मंत्री बनने की संभावना बनती है।
    इस मुलाकात के क्या मायने