अर्नब से लाख असहमतियां हैं लेकिन इस बात के लिए उनके साथ खड़ा हूँ कि उन्हें अपना पक्ष रखने का फेयर चांस मिले. मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है कि लेट अबेर ही सही अन्वय को न्याय मिलेगा.

फिलहाल अर्नब को केवल पूछताछ के लिए ले जाया गया है ये बेहद सामान्य सी बात है, इसमें कुछ भी गलत नहीं लेकिन वे लोग जो इस पूछताछ को आपातकाल और फासीवाद बता रहे हैं.

उन्हें बताना चाहता हूँ कि जिस पार्टी के आप समर्थक हैं उसी भाजपा सरकार ने 1995 में बंद एक केस को साल 2011 में खोलकर संजीव भट्ट नाम के एक इमानदार आईपीएस अधिकारी को 2 साल से जेल में सड़ाया हुआ है.

इसी भाजपा सरकार ने डॉक्टर कफील खान को पहले 9 महीने और फिर दुबारा 6 महीने तक जेल में सड़ाए रखा था लेकिन तब आप अपनी सरकार के हर अलोकतांत्रिक कदम पर बेहयाई से हंस देते थे.

इसी योगी सरकार ने पत्रकार प्रशांत कनोजिया को दो महीने से जेल में रखा हुआ है, इसी मोदी सरकार ने सुधा भारद्वाज को झूठे केस बनाकर पिछले 3 साल से जेल में रखा हुआ है.

ऐसे न जाने कितने ही निर्दोष नागरिक जेलों में डाले हुए हैं देवांगना, वरवर राव, हनी बाबु, खालिद सैफी, उमर खालिद, आसिफ इकबाल तनहा, जैसे सेकड़ों निर्दोष नागरिक हैं, जिन्हें भाजपा और आरएसएस के विरोध की सजा दी जा रही है.

जिसका कि आप दिनरात समर्थन करते हैं, इसलिए फासीवाद और लोकतंत्र जैसी बातें आपके मूंह से अच्छी नहीं लगतीं.

बाकी एक कविता याद आ रही है, जब नीचे तक पढ़ने के लिए चले ही आएं तो सुन ही लीजिए

”जलते घर को देखने वालों फूस का छप्पर आपका है
आपके पीछे तेज़ हवा है आगे मुकद्दर आपका है
उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था मेरा नम्बर अब आया
मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है अगला नम्बर आपका है”

तो अर्नब और उसके समर्थकों से ये ही पूछना चाहता हूँ कि ‘nation wants to know ‘तब कहाँ थे’

( यह लेख पत्रकार श्याम मीरा सिंह की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )