बीते दिन महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री उम्मीदवार और राजद नेता तेजस्वी यादव ने एनडीए की जीत पर संदेह जाहिर किया है। दरअसल इस बार राज्य में बदलाव की हवा चल रही थी और महागठबंधन ने एनडीए को कड़ी टक्कर भी दी है।

राजद इस बार राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। बिहार विधानसभा चुनाव में कई ऐसी सीटें भी थी। जहां पर हार और जीत का अंतर बहुत ही कम वोटों ने तय किया है।

इस कड़ी में नालंदा जिले की हिलसा विधानसभा सीट भी शामिल है। जहां राजद के उम्मीदवार और पूर्व विधायक शक्ति सिंह जदयू उम्मीदवार कृष्ण मुरारी शरण से सिर्फ 13 सीटों से हारे हैं।

इस मामले में राजद नेता शक्ति सिंह का कहना है कि मैंने शुरूआती दौर से लेकर बढ़त बनाई हुई थी। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी हिलसा विधानससभा सीट पर मैं आगे चल रहा था।

पहले हमें 549 वोटों से विजयी घोषित कर दिया गया था। हम सर्टिफिकेट लेने के इंतज़ार में बैठे थे। लेकिन उसके बाद रिटर्निंग अधिकारी को मुख्यमंत्री आवास से फोन आता है। जिसके बाद चुनाव अधिकारी ने 13 वोटों से हमारी हार का एलान किया।

राजद नेता शक्ति सिंह का कहना है कि चुनाव में हम हारे नहीं है। हमें चुनाव अधिकारी द्वारा जबरदस्ती हराया गया है। यह सब शासन में बैठे लोगों के दबाव बनाए जाने की वजह से हुआ है।

गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद महागठबंधन लगातार चुनाव आयोग खड़े कर रहा है। राजद नेता तेजस्वी यादव पोस्टल बैलट की हेराफेरी को लेकर चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं।

कल तेजस्वी यादव ने कहा है कि राज्य की जनता का फैसला उनके पक्ष में है। लेकिन जब चुनाव आयोग नतीजे घोषित किए तो वह एनडीए के पक्ष में किए गए।