एक रेप सर्वाइवर को क़ानून व्यवस्था, समाज और प्रशासन कितना भरोसा दिला पाते हैं कि ये न्याय की लड़ाई उसकी अकेली की लड़ाई नहीं है. थाना, कचहरी और समाज में उसका अनुभव कैसा होता है?

बिहार के अररिया में एक रेप सर्वाइवर और उसकी दो दोस्तों को सरकारी काम काज में बाधा डालने के आरोप में जेल भेज दिया गया. ये तब हुआ जब कचहरी में जज के सामने बयान दर्ज किया जा रहा था.


इस मामले में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पुष्कर कुमार का कहना है, ‘माननीय न्यायालय ने ही मामला दर्ज कराया है और उसी के आदेश के तहत यह कार्रवाई की गयी है। दुष्कर्म के मामले में एक अभियुक्त को जेल भेज दिया गया है। दूसरों पर पुलिस की अनुसंधान प्रक्रिया जारी है’।

जब पीड़िता ही जेल में है तो बाक़ी की क़ानूनी प्रक्रिया कैसे पूरी की जायेगी, इस सवाल पर एसडीपीओ पुष्कर कुमार का जवाब था, ‘पीड़िता का बयान पुलिस ने पूर्व में ही दर्ज कर लिया है। जब वो बाहर आएँगी तब उसी बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी’।

अदालत ने पीड़िता से धारा 164 के तहत बयान के बाद तीन लोगों के ख़िलाफ़ न्यायिक कार्य में बाधा डालने, ड्यूटी कर रहे सरकारी अधिकारियों पर हमला करने, अदालती कामों में लगे कर्मियों की बेइज्जती करने और अदालत की अवमानना करने का आरोप लगाया और महिला थाना कांड संख्या 61/20 दर्ज कराकर पीड़िता समेत सामाजिक कार्यकर्ता कल्याणी बडोला और तन्मय निवेदिता को न्यायिक हिरासत में भेज दिया

फ़िलहाल तीनों दलसिंह सराय जेल में बंद हैं। इस मामले में जब पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार को संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि वे स्तब्ध हैं। उनके अनुसार, ‘क़ानून कहता है कि निचली अदालतों के समक्ष जब भी कोर्ट के आदेश की अवमानना के संबंध में कोई बात आती है तो संबंधित निचली अदालत उस मामले को उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाएगी। अदालत की अवमानना के इस मामले में जिस तरह से जेल भेज दिया गया है वह प्रक्रिया कंटेंप्ट ऑफ़ कोर्ट के प्रावधान के ही विरूद्ध है’।

सामाजिक संस्था जन जागरण शक्ति संगठन के आशीष रंजन का कहना है, ‘दुष्कर्म पीड़िता अपनी मददगार की मौजूदगी में धारा 164 के तहत लिखित बयान पढ़वाना चाहती थी लेकिन, यह बात मजिस्ट्रेट साहब को नागवार लगी और पीड़िता समेत दोनों सामाजिक कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ ही कार्रवाई कर दी। उनपर आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 188 भी लगायी गयी है, जिसके तहत उनपर महामारी रोग अधिनियम के अंतर्गत भी कार्रवाई की जा सकती है’। पीड़िता अररिया ज़िले की मूल निवासी है जबकि दोनों सामाजिक कार्यकर्ता जन जागरण शक्ति संगठन से जुड़ी हैं और मामले में पीड़िता की मददगार भी हैं।