जाने-माने वकील प्रशांत भूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही बहस के बारे में फेसबुक पर Himanshu kumar लिखते हैं-

सर्वोच्च न्यायालय में प्रशांत भूषण के खिलाफ चल रही अवमानना की कार्यवाही के मुकदमे में प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने बहुत जबरदस्त बातें कहीं।

उन्होंने कुछ जजों के समय में न्यायपालिका में ईमानदारी के अभाव को लेकर जो आम धारणा बनी है उसके बारे में बात करते हुए कहा कि राजनीतिक तौर पर संवेदनशील कुछ मामलों में आए फैसलों से ऐसा लगा है कि न्यायपालिका ने अपनी इज्जत गिराई है।

उन्होंने रंजन गोगोई के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्होंने राफेल सीबीआई और अयोध्या मामले में केंद्र सरकार के पक्ष में फैसले दिया और बाद में राज्यसभा की सीट और जेड प्लस सिक्योरिटी की सुरक्षा स्वीकार कर ली इससे लोगों में क्या संदेश गया?

वकील दुष्यंत दवे यहीं पर नहीं रुके उन्होंने आगे कहा केवल कुछ ही जजों को राजनैतिक रूप से संवेदनशील मामले क्यों दिए जाते हैं ? जस्टिस नरीमन जैसे जज को ऐसे मामले क्यों नहीं दिए जाते?

इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने जवाब दिया कि जस्टिस नरीमन कांस्टीट्यूशन बेंच के हिस्सा है जस्टिस गवई ने कहा कि नरीमन मणिपुर केस का हिस्सा है।

दवे ने कहा कि मैं राजनीतिक तौर से संवेदनशील मुद्दे से इसकी बात कर रहा हूं मैं 50 केस ऐसे बता सकता हूं।

दुष्यंत दवे ने कहा कि आप लोग 130 करोड़ लोगों के अभिभावक है इस देश के राजनीतिज्ञों के बारे में आप जानते हैं वह कैसे हैं अब यह आपके हाथ में कि आप नागरिकों के अधिकार सुरक्षित रखते हैं कि नहीं।

दुष्यंत दवे ने प्रशांत भूषण द्वारा भारत की न्यायपालिका को उनके योगदान के बारे में बताया।

सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय को सुरक्षित रख लिया है.