आज 21 जून,2021 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का 7वा साल था। इन साल का थीम जहां पर्यावरण को नजर अंदाज करते हुए कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए रखा गया जो कि, योग फॉर वेलनेस, अर्थात् योग केवल स्वास्थ्य के लिए ।आज ही के दिन संयुक्त महासभा ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। जिस तरह सारा संसार को, वेद, उपनिषद, अध्यात्म, और दर्शन का पाठ पढ़ाने का काम भारत , भारत के ऋषिमुनियो, और विद्वानों ने किया जिसको विश्व का इतिहास अपने पेज में समिट कर रखा है। आज फिर उसी विश्व को पर्यावरण के ऊपर मंडरा रहे खतरे को टालने का काम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा सुझाए गए योगा ही है। जिसको ,सितम्बर,2014 में संयुक्त महासभा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दृढ़ और कृतज्ञता के साथ रखा और उस बात को भी पहली बार संयुक्त महासभा ने 90 दिन में ही दिसम्बर ,2014 में 177 सदस्यों के सहमति से पारित कर दिया। योग शारीरिक संबंध को पर्यावरण से जोड़ कर रखता है। इससे मन की गति में तेजी आती है, मन और दिमाग का संतुलन सही रहता है। कहा जाता है की भारतवर्ष में रोग का प्रचलन हमेशा से रहा है इसीलिए तो प्रत्येक राज्यसभा में एक वैद्य रहा करते थे, जो सभी के रोगों का ईलाज योग और जड़ी बूटियों से किया करते थे जिसका आज भी हम अनुप्रयोग अपने जीवन में करते है। आज योग करने से बहुत सारी जिंदगी सांस लेकर सड़क पर घूम रही है वरना कब का प्राण त्याग दी होती। आज पुरा विश्व जहां कोरोना वायरस जैसे महामारी से जंग लड़ रहा है, जिसका अभी तक कारगर कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है। जहां भारत में जनसंख्या बहुत ज्यादा मात्रा में है जिसमें कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के चपेट में बहुत कम लोग आए जिसका एक मात्र कारण, योग, जड़ी_बूटी, और औषधियों से निर्मित मेडिसिन ही है। भारत के लोग आज भी 100 वर्ष से कम जीने वाले नहीं है लेकिन आज की वर्तमन हालात ने सबको परेशान किया है। आज विश्व में भारत का स्थान औषधियों , दवा, और स्वास्थ्य के मामले में नंबर वन पर है। आज भारत को आजाद हुए 75 साल होने वाले है फिर भी हमारा देश के जीडीपी स्तर इतना कम क्यों? आज भारत के केन्द्रीय सरकार योग के साथ साथ औषधीय पौधे पर भी ध्यान दे रही है_आयुष मंत्रालय, दिल्ली सरकार के द्वारा किया गया पहल योग में डिप्लोमा के डिग्री ये सब एक प्रदूषण मुक्त विश्व के लिए पहल जैसा ही है। आज के समय पूरे विश्व में ऐसा लग रहा है की एक क्रांति चल रही है जिसका नाम बढ़ते पर्यावरण संकट को कैसे बचाए जिसका एक मात्र उपाय योग ही दिखाई दे रहा। और आज लोग योग को भी एक वर्क के रूप में चुन लिए है और 21 जून को तो ऐसा लगता है जैसे की हम एक पर्व मनाने जा रहे है जिसमें सभी धर्म के लोग, एक साथ मिल खड़े होते है। आज बढ़ते चमक वाली दुनिया को हम योगा के माध्यम से ही सुधार सकते है, शहर में तो स्थिति और सुधर गई है_बढ़ रहे मोटापे का असर भी अब कम हो चला है। हम सभी को इस बात को समझने की जरूरत है की हम अपने आप में परिर्वतन कैसे लाएं। क्योंकि आज पूरी दुनिया एक_दूसरे से आगे बढ़ने के होड़ में कुछ भी करने को तैयार है। जिससे हमारी ज्योग्राफिकल कंडीशन में काफी बदलाव हो रहे है जैसे_बिन बादल के वर्षा, ठंडे में गर्मी की संभावना ये सभी इंडस्ट्रीज, प्राकृतिक संसाधन के अधिक दोहन का ही प्रभाव है जिससे आज के कोरोना वायरस के कहा कहर से पूरा दुनियां सहमी हुई है। आज हम विजेता बनने के लिए कुछ भी करने को तैयार है इसीलिए हमें योग की जरूरत पड़ती है क्योंकि योग हमे अच्छी सोच, नए एनर्जी, और काम के प्रति सजगता देती है जो की किसी भी राष्ट्र के विकास में मानव पूंजी का आधार होते है।