आखिरकार अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर का लगभग 31 वर्षों के बाद दोबारा से भूमि पूजन हो गया. ज्ञात रहे, 9 नंवबंर 1989 को भी अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण हेतु भूमि पूजन और शिलान्यास किया जा चुका है.
परंतु शांतिपूर्ण ढंग से मंदिर निर्माण होने से धर्म आधारित राजनीति पर जीने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसका मुखौटा भारतीय जनता पार्टी भारतीय राजनैतिक परिदृश्य से पूरी तरह से गायब हो जाते. ऐसे में बाबरी मस्जिद गिराने से लेकर सच-झूठ फैलाने की जो साजिश रची गई थी, उसकी सफल परिणीति आज अयोध्या में दोबारा राममंदिर के भूमि पूजन के रुप में हुई है.
गौरतलब है कि भारत इस समय अभूतपूर्व त्रासदी के दौर से गुजर रहा है. पिछले लगभग 4½ महीने में पूरे देश में करोड़ों युवा अपनी जॉब से हाथ धो बैठे हैं, लाखों लोगों की जॉब पर तलवार अभी भी लटक रही है. आंकड़ों की बात करें तो मार्च में कोरोना का व्यापक असर फैलने से भी पहले, 2019 में मोदी जी के दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से फरवरी 2020 तक ही 3½ करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी जॉब गंवाई थी. अत: यहां कोरोना ने सरकार को अपनी नाकामी छिपाने का अवसर प्रदान किया. ये अलग बात है कि कोरोना के कारण भी लगभग 10 करोड़ लोगों ने अपना रोजगार खोया है.
मौजूदा सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने और मौजूदा भाजपा के प्रचारमंत्री यानी हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख 97 हजार करोड़ के पैकेज का ऐलान किया था. अगर यह पैकेज वास्तव में जनता के लिए था तो करोड़ों युवा बेरोजगार ही कैसे बैठे हैं? अब मनरेगा में 100 दिन के रोजगार को या 2 एकड़ जमीन पर पहले से कृषि कर रहे 2 भाइयों के साथ लग गए तीसरे भाई को आप रोजगार में गिन लें तो अलग बात है, वर्ना हकीकत में रोजगार गंवाने वालों की संख्य दसियों करोड़ में है. इसके साथ ही हजारों कंपनियों पर ताले क्यों लटक गए?
हमारे भाषण स्पेशलिस्ट मोदी जी ने कहा था कि महाभारत का युद्ध 18 दिनों में जीता गया था और हम कोरोनावायरस के खिलाफ युद्ध 21 दिनों में जीत लेंगे. परंतु सच तो यह है कि उस समय यह सत्ताधारी पार्टी यही सोच रही थी कि वायरस मामूली है, कुछ दिन में अपने आप ही खत्म हो जाएगा. उसके बाद भाजपा की प्रचार एजेंसी यानी भारतीय मीडिया के सहारे पूरे देश में मोदी-मोदी करवा दिया जाएगा. लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. वायरस अपना विकराल रूप दिखाता गया, उसके बाद प्रधानमंत्री ने जनता को आत्मनिर्भर बनने के लिए कह कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली.
जनता को आत्मनिर्भर बनने का ज्ञान देने के बाद सत्ताधारी पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के साथ निकल पड़ी है अपने अगले मिशन पर, यानी बिहार के विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर. यह बात दावे के साथ इसलिए भी कही जा सकती है क्योंकि, आने वाले सितंबर-अक्टूबर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. बिहार-असम सहित उत्तर-पूर्वी भारत में लाखों की आबादी मौजूदा वक्त में बाढ़ की चपेट में है, लाखों लोग बेघर हो चुके हैं, सैकड़ों लोगों को एक समय का खाना तक नहीं मिल पा रहा है. बाढ़ से हालत इतनी ज्यादा खराब है कि बिहार और उत्तर प्रदेश में भाजपा से और जैसा कि सभी को पता है कि बिहार में भाजपा के समर्थन से तथाकथित सुशासन बाबू यानी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री से बिहार की जनता अत्याधिक आक्रोशित है.
बिहार की जो मौजूदा स्थिति है उससे यह साफ संकेत मिल रहा है कि भाजपा पूरी तरीके से नीतीश कुमार के साथ बिहार चुनावों में जमींदोज हो जाएगी. जैसा की भाजपा पिछली बार हुई थी, उससे भी बदतर हालत होगी. अबकि बार तो भाजपा जोड़-तोड़ करके जीती हुई सरकार को गिरा कर बिहार के अंदर सत्ता पर काबिज हो गई थी, लेकिन भाजपा ने पिछली बार बिहार की प्रचंड हार से सबक नहीं लिया. इस बार भी कमोबेश वैसी ही स्थिति है और वैसी हार से बचने के लिए भाजपा ने अपनी प्रचार एजेंसी यानी भारतीय मीडिया को हड्डी फिर से फेंक दी है और भारतीय मीडिया आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार को टालने के लिए मंदिर मुद्दे को और सुशांत सिंह राजपूत के मुद्दे को लगातार उछाल रही है. सुशांत सिंह राजपूत बिहार से हैं और बिहार में राजपूत वोटर भी अच्छी खासी तादात में है.
अपने मुद्दे पर यथावत रहते हुए भूमि पूजन की बात करें तो…. बिना किसी मुहूर्त के भूमि पूजन हो रहा है, जिससे साफ पता चलता है कि भाजपा को धर्म से और हमारे आराध्य भगवान सियाराम से उतना ही मतलब है जितना की उनका राजनीतिक लाभ लिया जा सके. मर्यादा पुरुषोत्तम राम का रामराज्य कहता है कि रामराज्य में कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोना चाहिए, किसी भी जाति धर्म के लोगों को प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए, धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए.
और तो छोड़िए भगवान सियाराम ने तो रावण के प्रति भी अपने अंदर द्वेष नहीं रखा था, रावण के अंत समय में अपने अनुज लक्ष्मण को रावण के चरणों में बैठ कर राजनीति का ज्ञान हासिल करने का आदेश दिया था. लेकिन मौजूदा सत्ताधारी पार्टी जो भगवान राम के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकती है, वह मौजूदा दौर में और पिछले तीन दशक से क्या कर रही है? क्या यह भगवान राम के बताए रास्ते पर चलने वाले लोग हैं?

भगवान के नाम का नारा लगा देने मात्र से ही क्या यह राम भक्त हो गए? भगवान के नाम पर नारा ही लगाना है तो जय श्री राम ही क्यों जय सियाराम क्यों नहीं? जय श्री राम तो ठीक वैसे ही है, जैसे जय भवानी बोलकर डाकू पहले के जमाने में लूट लेते थे. आज भी जय श्रीराम बोलकर भाजपा के गुर्गे निर्दोष मासूम लोगों की जान ले ही रहे हैं भगवान के नाम रुपी नारे तक को इन लोगों ने क्रूरता का प्रतीक बना दिया है.
उत्तर प्रदेश में हत्या लूट बलात्कार अपने चरम पर है, उत्तर प्रदेश में तथाकथित हिंदू हृदय सम्राट योगी आदित्यनाथ उर्फ अजय कुमार बिष्ट मुख्यमंत्री, लेकिन खुद के शासित राज्यों में व्याप्त अपराध पर बात करने में शायद प्रधानमंत्री मोदी को शर्म आती है. हर नाकामी को छुपाने के लिए धर्म की चरस सुंघाई जा रही है. ताकि युवा खुद के अधिकारों की बात ना करें, खुद के लिए रोजगार की मांग ना करें. धर्म की चरस के नशे में युवा मोदी-मोदी करता रहे और भाजपा की सत्ता बची रहे यही. भाजपा के प्रचार मंत्री और हमारे देश के प्रधानमंत्री का मूल मंत्र है और इसी मूल मंत्र पर यह लगातार काम कर रहे हैं.
2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी अपनी असफलताओं के पहाड़ पर खड़े थे लेकिन अचानक से ही बालाकोट के रूप में इन्हें संजीवनी मिल गई और पाकिस्तान जैसे मच्छर बराबर देश के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करके सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर अपनी तमाम नाकामियों को धता बताते हुए चुनाव जीत गए. एक के बदले 10 सर लाने की बात करने वाले और पाकिस्तान जैसे देश, जिसकी गिनती नहीं करनी चाहिए हमें , उसके नाम पर बड़े-बड़े भाषण देने वाले प्रधानमंत्री मोदी चीन के सामने सर्जिकल स्ट्राइक करने से क्यों घबरा रहे हैं? ऐसा सिर्फ किस लिए है ना की मीडिया प्रबंधन और भाषण के दम पर बनाई गई तथाकथित मजबूत छवि को धक्का न लग जाए? देश से बड़ी खुद की छवि?
धारा 370 जब हटाई गई थी उस समय भी प्रचार मंत्री द्वारा और मीडिया द्वारा कहा गया था कि अब कश्मीर से आतंकवाद का नामोनिशान मिट जाएगा. धारा 370 के कारण ही कश्मीर में आतंकवाद पनप रहा था, लेकिन धारा 370 को हटे हुए लगभग 1 साल हो गया और रोज कश्मीर के अंदर आतंकवादी घटनाओं की खबरें आती रहती है. धारा 370 के हटने के बाद अभी तक हमारे सैकड़ों जवान शहीद हो चुके है, मीडिया इस पर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल क्यों नहीं करता? सैनिकों की शहादत और सेना से जुड़ी हुई खबरें तभी दिखाई जाएंगी जब उससे भाजपा को फायदा होगा?
देश के युवाओं को समझना होगा कि जब सत्ता अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए सवालों से बचने के लिए धर्म का सहारा लेने लगे, सेना का सहारा लेने लगे और जनता के जुड़े मुद्दों पर सत्ताधारी पार्टी से मीडिया सवाल पूछना बंद कर दे ऐसे वक्त में देश की सत्ता पर एक नाकाम व्यक्ति बैठा हुआ है. जो सवाल पूछने वालों को देशद्रोही, राष्ट्रद्रोही, पाकिस्तान परस्त दुश्मनों से मिला हुआ बता कर तत्कालिक तौर पर चुनाव तो जीत रहा है, लेकिन उसके पास देश चलाने के लिए कोई विजन नहीं है. आज नहीं तो कल देश की जनता अपने जरूरी मुद्दों पर जरूर लौटेगी, आज नहीं तो कल जनता को मंदिर मस्जिद और पाकिस्तान के भूत को भूल कर अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना ही होगा, युवाओं को अपने रोजगार के बारे में सोचना ही होगा, बढ़ती हुई महंगाई पर सवाल करना ही होगा, उस समय मौजूदा सत्ता क्या करेगी?
अभी कुछ दिन पहले बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि आज कोरोनावायरस के दौर में अस्पताल नहीं है लालू प्रसाद यादव ने अपने 15 साल के शासन में अस्पताल क्यों नहीं बनाया? देश के युवाओं को भाजपा के नेताओं के बयानों पर गौर करना होगा. यह अपनी तमाम नाकामी छुपाने के लिए विपक्षी पार्टी के नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हैं, अरे विपक्षी पार्टियों ने काम नहीं किया तभी तो भाजपा को सत्ता सौंपी जनता ने. भाजपा को सत्ता इसलिए नहीं सौंपी की यह अपनी नाकामी विपक्ष के नाम पर छुपाते रहे.
कल को यह लोग यह भी कह देंगे कि जब महात्मा गांधी चंपारण आए थे उस समय उन्होंने अस्पताल क्यों नहीं बनवाए? कोरोना वैक्सीन क्यों नहीं बनाई? सच तो यही है जो देर सबेर सबको महसूस होगा कि राम के नाम पर देश को ठगने वाले लोगों के पास जनता से जुड़ा हुआ देश के लिए कोई विजन नहीं है. भाजपा के नेताओं के साथ-साथ अब हमारे प्रचार मंत्री को भी समझ लेना होगा कि जिस दिन मीडिया एक्सपोज हो गई, उस दिन पैसों और झूठे भाषण के दम पर बनाई हुई छवि भी जमीनोंजद हो जाएगी, अगर जनता के मुद्दों पर नहीं लौटे तो.
( यह लेखक के निजी विचार है )
























