स्वतंत्र भारत के 74वीं वर्षगांठ पीछले 73 सालो का जाने इतिहास: भारतवर्ष अर्थात् हम भरत के वंशज है। हम नैतिकता, सार्वभौमिकता, एकता और स्वतन्त्रता का परिभाषा अच्छे से समझते है आज भारतवर्ष को स्वतंत्र हुए 75 साल होने जा रहे है जो कि 2021 , 74वा स्वतंत्रता वर्ष है। आज भारत जहां , योग , फिट इण्डिया, हिट इण्डिया के अन्तर्गत विश्व मे अपना नेतृत्व मुख्य वक्ता के रूप मे निभा रहा है तो वही कोरोना वायरस के बढ़ते कहर ने भारत सहित विश्व के सभी राष्ट्रों को एक वैसे कटघरे मे शामिल कर चूका है की हम एकता के स्थान पर अलग थलग दिखाई दे रहे है। लेकिन भारत ने इन सभी के बावजूद भी कुछ अलग कर दिखाया है जब यूपीए सरकार ने न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी 1991 लाई तो एनडीए ने भी जीएसटी लाकर भारत के आर्थिक व्यवस्था मे एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है। इंदिरा गांधी ने जहां , सन् 1975 मे इमरजेंसी घोषित की थी तो, नरेंद्र मोदी के सरकार ने भी ,एनआरसी, सी .ए.ए, और किसान बिल आदि जैसे हथकंडे अपनाकर आपातकालीन जैसा स्थिति पैदा कर दिया है। वही 1985 ई. मे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था की सरकार के 1 रुपये के मात्र 15 पैसा ही जनता के पास पहुंच पाता है जो की आज, पीएम किसान निधि योजना, उज्ज्वला योजना, गरीब कल्याण योजना, न्यू मोटर वाहन ,जन धन योजना जैसे नीतियों के माध्यम से पूरा रुपया प्रत्यक्ष रूप से जनता के खाता मे जा रहा है। आज जहां एनडीए को सत्ता मे आए मात्र 7 वर्ष ही हुए है और अभी तो स्वतन्त्रता के 100 वर्ष 2047 तक एनडीए का प्लान तो कुछ और ही है। इन समय किए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व मे मुख्य कार्य, राम मंदिर का मुद्दा सॉल्व , जम्मू काश्मीर मे आतंकवाद और अलगाववाद को समाप्त कर लोकतन्त्र की स्थापना करना जिनका सीधा परिणाम , इन दिनो श्रीनगर के पुलिस के द्वारा श्रीनगर के आई के जगह लालचौक के घंटाघर के झंडा चिन्ह को देना वास्तव मे भाईचारा का प्रतीक है। तीन तलाक ने जहां मुस्लिम महिलाओं को जीवन अधिकार दिया तो इन दिन भ्रष्टाचार भी भारत मे कम नहीं हुए है , एनसीआरबी के एक आंकड़े के अनुसार 2017-2019 के बीच लगभग ,24 हजार से अधिक बच्चो ने आत्महत्या कर ली, तो वही आप प्रत्येक दिन न्यूजपेपर पढ़े तो आपको प्रतिदिन कमसे कम तीन रेप और बालिकाओं के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आता है जो आपके रूह को कंपा देगा। जहां हम आज 15 अगस्त को स्वतन्त्रता दिवस मना रहे है तो वही हरियाणा के सोनीपत मे एक छोटी उम्र के लड़की के साथ पूरे रात चलती कार मे तीन बदमाशों ने दुष्कर्म किया ओह कांप गया रूह। हाथरस कांड मे मीडिया को भी नहीं जाने देना लोकतन्त्र का हत्या। आज भारत जहां लोकतन्त्र का मसीहा माना जाता है तो वहीं संसद स्थगन का मामला इन साल मानसून सत्र मे तो विपक्ष ने पूरा सत्र हंगामा ही किया मात्र लोकसभा 22%, और राज्यसभा 28% ही चल पाया है जबकि एक दिन के संसद खर्च लगभग 10.50 करोड़ रुपया आता है वो सब जनता के करो का पैसा पानी मे चला गया। आखिरी दिन तो सा राज्यसभा एम. वैंकया नायडू को आंख से आंसू आ गया । आखिर भारत के जनता के साथ सरकार और विपक्ष कब तक नाइंसाफी करेगी आपको याद है न इन साल का ही 26 जनवरी को खालिस्तानी समूह ने किस तरह लाल किला को ध्वस्त किया था क्या भारत मे लोकतन्त्र का अब यही परिभाषा है। क्या यहां पर राष्ट्र से बड़ा धर्म है की राष्ट्र का प्रतीक हटाकर खलिस्तानियो के द्वारा धार्मिक झंडा लगाया गया क्या हम वैश्विक राजनीत से भी नही डरते है। क्या सरकार इसी को लोकतन्त्र मानती है की जब उसका पूरा साल आंदोलन मे ही गुजर जाए। आज कोरोना वायरस ने जहां विश्व के आर्थिक साधनों पर चोट पहुंचाया है तो वही भारत ने वैश्विक नेतृत्व संभाला है टोक्यो मे भारत का ऐतिहासिक जीत वाकई मे शानदार रहा और नीरज चोपड़ा ने तो एथेलेटिक्स मे गोल्ड लाकर चार चांद लगा दिया। लेकिन वही कोरोना काल मे सब वायरस से जूझ रहा है तो, इजरायल और फिलिस्तीन अपने अधिकार को लेकर , अफ़गानिस्तान और तालीबान अपने वर्चस्व को लेकर जो की तालीबान के संघर्ष का तरीका अमानवता और निंदनीय है। तो भारत यूएनएससी का अध्यक्षता कर अपना वैश्विक राजनीति मे कद आगे बढ़ा रहा है। आज विश्व के पसंदीदा नेता नरेंद्र मोदी हो गए है जिनको लेकर विश्व के सभी शक्तिशाली राष्ट्र भारत से संबंध अच्छा बनाना चाह रहे है। फिर भी यहां के राजनीती के , चुनाव का जाति , धार्मिक और क्षेत्रीय कार्ड समीकरण ने भारतीय राजनीती को कटघरे मे खड़ा कर दिया है। भारतीय राजनीती एक समुद्र के मात्र कचड़ा रह चुकी है। भारत के , छत्तीसगढ़, झारखण्ड मे नक्सलियों का इन दिन बोल बाला खत्म हो चुका हैं अब लोग स्वतंत्रता की सांसे ले रहे है। लेकिन वही भारत सरकार और राज्य सरकार के योजनाओं के धरातल पर कही प्रयोग नहीं , जैसे, नल जल योजना , स्वच्छता अभियान आदि सभी जगह लगभग फेल है। पंडित जवाहरलाल नेहरू , अंबेडकर , गांधी, पटेल ने भारत को एक किया था तो वही आज के नेताओं ने इसे तोड़कर संसद मे बेल के पास सभापति के चेहरों पर कागज के टुकड़ों को उछालने के काम मे ला रहे है। कल के लालटेन अर्थात् किरोसिन के तेल वाला भारत आज विद्युत और सोलर मे भी अंधेरा मे ही है।                                                                                  ये निजी विचार बिहार के युवा पत्रकार संजय कुमार का है।