आज भारत में लोकतंत्र की परिभाषा जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा का अर्थ ही खत्म हो चुका है। आज भारत को आजाद हुए 75 साल होने को है जिसमें भारत ने _रामभूमि_बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर आंदोलन देखा, गोधरा काण्ड गुजरात, तो इंदिरा गांधी के इमरजेंसी को लेकर आंदोलन देखा , तो उतरी भारत में जातिगत आंदोलन देखा , तो आज किसान आंदोलन, NRC, CAA and, NPR को लेकर आंदोलन, इलाहाबाद विश्विद्यालय में छात्रों का आंदोलन तो , जामिया, जेएनयू में भी छात्र आंदोलन आखिर ये सब कब रूकेगा लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ मीडिया के संरक्षक पत्रकारों के हत्या कब थमेगी , कब हाथरस जैसा कांड दुबारा नहीं होगा। आखिर जनता कब तक जन प्रतिनिधियों के सहारे नाचेगी जी सत्ताधारी आंख खोल कर सुनो आपको सुननी पड़ेगी। आज इस कोरोना काल में किसान अपना खेती_बाड़ी छोड़कर आज रोड पर खड़े है एक साधारण से बिल को रद्द कराने के लिए आज 6 महिनों से और जब तेल का दाम डबल सेंचुरी लगा रहा है तो आप जनता कह रहे हो की सरकार की कमी है साहेब जब किसान रोड पर होंगे खेत परती रहेगा तो उपज नहीं होगी तो फिर महंगाई बढ़ेगी ही फिर किसको दोष दिया जाए दोषी तो फ़िर सब सिस्टम है यहां के इसलिए केन्द्र में बैठे साहेब आप को तो ध्यान होनी चाहिए की किसान के बात तो कमसे कम सुन लें साहेब हमारे किसान बहुत साधारण होते है आप उसे एमएसपी दो तो ठीक है और नही दो तो भी वो अपना अनाज और उपज को किसी बनिए को किसी मूल्य पर दे देंगे या उपज को रोड पर फेक देंगे और ये किसान उससे भी ज्यादा बहुत भोले होते है और ये कानून से बहुत डरते है और ऊपर से आपके सांसद जी के संसदयी और विधायक जी के विधायकी से डरते है फिर इनको कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में क्यों डाल रहे है , फिर इनको मैटर डायरेक्ट कोर्ट न जाकर एसडीएम कमिटी के पास क्यों भेज रहे है अपने किसान के भावनाओ को तो समझे क्यो बेचारे को झूठे वादे बांधे है की डबल इनकम किसानो का होगा। जिस देश में आंदोलन 1साल,6 मंथ लगातार चले समझिए उस देश में लोकतन्त्र जीवीत नही है। और आप कितने चालाक है किसान कुछ दिन के लिए आंदोलन रोक दे तो आप अपना जीत मानते है आज इन सभी का ही कारण है कि हमारा democracy index में रैंक 53rd है जो की EIU द्वारा पब्लिश की जाती है जिसमें 60 बिंदुओं के आधार पर ये रिपोर्ट निकलता है जिसमें मुख्यत: बहुलवाद, सिविल लिबर्टी, अभिव्यक्ति की आजादी है जिसमें भारत का अब स्थान कहां। यहां तो धर्म की राजनीति है जहां ये सच है की आज भारत दो गुटों में बंट गया है साफ साफ तौर पर कहे तो जो बीजेपी सपोर्टर है वो राष्ट्रवादी और जो कांग्रेस सपोर्टर है वो विनाशवादी, जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे में कन्हैया कुमार को देशद्रोही साबित किया जाता है जिसका मै समर्थन करता हूं लेकिन ये हाथरस रेप केस में किसको समाजद्रोही, और देशद्रोही कहा जाए, किसान आंदोलन , शाहीन बाग आंदोलन का जिम्मेदार और देशद्रोही कौन? पूछता है आज का स्टार इंडिया । आखिर विकास का क्या यही नाम है की जो सरकार एक बार सत्ता में आ जाए वो 15 साल से कम नही रहने वाली फिर राजनीतिक_संस्कृति लोकतन्त्र का अर्थ कहां ये तो अरस्तू का भिड़तंत्र और ऑफिसर शाही राज्य का समीकरण है। बंगाल में चुनाव जीतने के बाद हो रहे उग्र राजनीति , दिन दहाड़े हत्या, बिहार में नक्सलवादी चरम पर , बिहार में हो रहे नरसंहार आखिर कब रूकेगा ये सब। ये निजी विचार बिहार के युवा पत्रकार संजय कुमार का है
