भारत की राजनितिक व्यवस्था के राजनीतिक पार्टियां ने अपने चुनाव को लेकर गजब गजब की हथकंडे अपना रही है। आज भारत मे मीराबाई चानू जी का आगमन हुआ बड़ी गर्मजोशी से उनका स्वागत भी किया गया और भारत माता के नाम के जय कारा भी लगाया गया जो की वास्तव मे हमे भी अच्छा लगा और मै भी जोश मे आकर नारा लगा ही दिया । लेकिन मै मणिपुर सरकार के द्वारा मीराबाई चानू को एएसपी पद पर चयन की विधि को नकारता हूं। साथियों मै यूपीएससी एस्पिरेंट हू मुझे अच्छा से मालुम है की तैयारी करने वाले छात्रों के साथ समस्याएं क्या क्या होती है। प्रीलिम्स समय ये पढ़ना वे पढ़ना तो मेंस के समय ये टेस्ट सीरीज ज्वाइन करो तो वो करें। इन्टरव्यू मे बहुत सारे प्रशन का जवाब देना वाकई मे चौकाने वाला समय होता है। मेरे कितने सीनियर लोग तो अंतिम प्रयास तक तो सफल नही हो पाए और कितने तो हो पाए। और फिर जो सफल नहीं हो पाए वो कहां जाए हमारा प्रशन सत्ता से है क्या वो आत्महत्या का ही माला पहने या समाज मे पूरा जिंदगी समाज का कुपोषण वाला शिकारी बनकर रहे। तब तो इसरो के वैज्ञानिक को भी डीएम बना दिया जाए, आइंस्टीन को भी कोइ उसके देश मे पद देना चाहिए था। रामानुजन को भी कोइ पद देना चाहिए था जब लोगो को पद ही चाहिए तो एआईआईएमएस डायरेक्टर को कमिश्नर बना दिया जाए क्योंकि वो भी तो कोरोना जैसे जंग जीते है। फिर तो ज्योति कुमारी को एसपी बना दिया जाए और बेचारे सपने देख रहे यूपीएससी, पीसीएस के छात्र इस तरह के खबरे पढ़ते रहें की उनका इस पद पर प्रोमोशन हो गया ये सब व्यवस्था भतीजावाद को बढ़ावा देने वाला है उनके लिए और सेक्टर खाली हैं जैसे~ बैंक, रेलवे फिर ऐसा क्यों ये कतई सही नही की आर्मी मे शाहिद पति के पत्नी को एसडीएम पद ही दिया जाए उनके लिए और क्षेत्र भी है। हमे एथिक्स जैसे पेपर पढ़ना है उसका महत्त्व ही खत्म हो। आज जब भारत सरकार खिलाड़ियों पर इतना जब खर्च कर रही है उनके लिए अलग से विश्विद्यालय का गठन तक की है फिर तब क्या जरूरत है खिलाड़ियों को बदलने की सोच अगर इसी तरह का हथकंडे अपनाती रहे सरकार तो सभी तैयारी कर रहे खेल के कॉम्पिटीटर का सोच देश के हित के प्रति न होकर अपने कैरियर के अच्छे अवसर के तलाश का हो जायेगा और वो सब मेहनत केवल अपने को प्रशासनिक पद को पाने के लिए करेंगे बाद मे पद मिलने के बाद उनका खेल से संबंध खत्म हो जाएगा और भारत को आने वाला समय मे खेल के क्षेत्र मे खिलाड़ियों का किल्लत हो जायेगा। इस लिए भारत के राजनीती मे पदो को गरिमा बचाएं जाए वरना जब जनता प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और विधायक का चुनाव मेरिट पर कराने का मांग करने लगेगी तो आपका होश ठिकाने लग जायेगा और फिर आप कहेंगे की अच्छा इन्दिरा गांधी वाला कार्यकाल ही सही था। जिस तरह आज आतंकवाद को इतने चरम पर होने का एक मात्र कारण आतंकवाद का राजनीतीकरण ही है उसी प्रकार एक दिन प्रशासनिक पद का भी लोकतन्त्र मे राजनीतीकरण खतरनाक हो सकता है।
येे बात बिहार के युवा पत्रकार संजय कुमार के तजुरबे से संबंधित है कृपया आप भी अपना फीडबैक दे जरूर।