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गीता मनुष्य में ‘देवत्व’ का आधान करने वाला ऊर्जा का अक्षय-स्रोत/
‘श्रीमद्भगवतगीता आपके द्वार अभियान’ के तत्त्वावधान में मनायी गयी गीता जयंती, गीता-सम्मान से विभूषित हुए डा गुरु एम रहमान ।

The Star India Patna, २३ दिसम्बर। गीता मनुष्य में देवत्व का आधान करने वाला एक ऐसा दिव्य-ग्रंथ है, जो ऊर्जा का अक्षय-स्रोत भी है। यह संपूर्ण भारतीय वांगमय और दर्शन का सार है। जिस किसी ने भी इसे अपने जीवन में उतार लिया, वह अपने जीवन काल में ही मोक्ष प्राप्त कर लिया। गीता मनुष्य को निष्काम करती है। सफल काम करती है।
यह बातें, ‘श्रीमद्भगवतगीता आपके द्वार अभियान’ के तत्त्वावधान में, बिहार इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन हॉल में आयोजित गीता जयंती और सम्मान-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि गीता के दो मुख्य संदेश है। प्रथम यह कि ‘फल की कामना’ मन में रख कर कर्म नहीं करो। कर्म के फल तो अवश्य ही मिलते हैं। निष्काम भाव से करने पर उसका सद-परिणाम आनन्द प्रदान करता है। दूसरा यह कि देह नाशवान है। देह-धारण करने वाली आत्मा का नाश नहीं होता। ‘न हन्यते आत्मा, हन्यमाने शरीरे’।
समारोह के मुख्य अतिथि और पूर्व विधान पार्षद तथा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा कि आज हर व्यक्ति कोई भी काम फल की इच्छा के साथ करता है। गीता कहती है कि फल की इच्छा रखे विना कार्य करो। यदि गीता का सार अपने जीवन में उतार लें, तो संसार की सारी समस्याओं का अंत हो जाएगा। गीता एक ऐसा ग्रंथ है, जिसे जीवंत माना जाता है और इसका जन्मोत्सव मनाया जाता है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए, ‘श्रीमद्भगवतगीता आपके द्वार अभियान’ के संस्थापक और ‘गीता वाले बाबा’ के रूप में चर्चित संजीव कुमार मिश्र ने कहा कि यदि अच्छा मनुष्य बनना है तो गीता पढ़ें। यह मानवता का सबसे बड़ा ग्रंथ है। हर व्यक्ति के हाथ तक गीता पहुँचे यही उनके अभियान का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि विगत तीन वर्षों में अबतक ढायी लाख से अधिक की संख्या में गीता का निःशुल्क वितरण किया गया है।
आरंभ में अतिथियों द्वारा दीप-प्रज्वलन कर समारोह का उद्घाटन किया गया। इसके उपरांत ‘संत पशुपति नाथ वेद विद्यालय के आचार्य पं अजीत कुमार तिवारी के नेतृत्व में पंडितों और वेद विद्यालय के बटुकों द्वारा वैदिक-ऋचाओं के पाठ के साथ गीता का सविधि पूजन किया गया।
विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित योगाचार्य और पत्रकार हृदय नारायण झा ने कहा कि गीता एक मोक्ष-शास्त्र है। यह मनुष्यों को विषयों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करती है। डा मुकेश कुमार ओझा ने संस्कृत में अपने व्याख्यान दिए तथा संस्कृत-शिक्षा पर बल दिया।
पटना की महापौर सीता साहू ने कहा कि गीता का संदेश अपने जीवन में आत्मसात करें ताकि हमें मुक्ति की प्राप्ति हो। विधायक अरुण कुमार सिन्हा, पूर्व विधायक मिथिलेश कुमार तिवारी, संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो मनोज कुमार झा, भारतीय पुलिस सेवा की अवकाश प्राप्त अधिकारी निर्मल कौर, पूर्व कुलपति प्रो देवी प्रसाद तिवारी, पटना की उपमहापौर रेशमी चंद्रवंशी, पद्मश्री विमल जैन, रेशमा कुमारी और गुरु रहमान ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस वर्ष का ‘गीता-सम्मान’ सनातन संस्कृति की सेवा के लिए प्रतिबद्ध और और शिक्षक डा गुरु एम रहमान को दिया गया। इस अवसर पर अपने उद्गार में गुरु रहमान ने कहा कि भारत और भारतीय-दर्शन से बड़ा संसार में न तो कोई राष्ट्र है न विचार। ‘सनातन’ हज़ारों वर्षों से चला आ रहा एक ऐसा विचार है, जिसने समस्त संसार को जीवन का ज्ञान दिया है। इसने विश्व को मानवता की शिक्षा दी है।
मंच का संचालन कला-नेत्री डा पल्लवी विश्वास ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन सरदार हरजीत सिंह ने किया। इस अवसर पर नेत्र-दिव्यांग डा नवल किशोर शर्मा, अधिवक्ता छाया मिश्र, विंध्याचल पाठक, राज कुमार सिंह, रत्नेश आनन्द, आरती पाण्डेय, परशुराम शर्मा, डा राहूल कुमार मिश्र, अधिवक्ता नीतू कुमारी, लक्ष्मेंद्र तिवारी, अरविंद कुमार तिवारी, अजीत कुमार राम, संजीव कुमार, अधिवक्ता रवींद्र कुमार चौबे तथा गोपाल कृष्ण अग्रवाल समेत बड़ी संख्या गीता-प्रेमी उपस्थित थे।

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