चाय बेचना एक बहाना है चाय बेचकर लोगो का हुनर और टैलेंट को दबाया जाना बिहारियों के लिए सोचने की बात है

जय भारत , जय विकास हमे आजाद हुए 75 साल हो गए हम आजादी का अमृत काल में रह रहे हैं। क्या हमारे पूर्वज हमे इसीलिए आईआईटी, एन आई टी, एआईआईएमएस , आईआईएमसी जैसा संस्थान दे कर गए है कि बेटा आप उस संस्थान में पढ़ने के बाद अंत में चाय बेचना । जी नहीं जब संस्थान का नींव रखा जाता होगा तो लोग यही सोचे होंगे कि यहां से भारतीय पढ़ लिख कर भारत को विकसित बनाने में सहयोग करेंगे । लेकिन आज एक ट्रेंड चल दिया है कि यहां के छात्र पढ़ाई करने के बाद जब से 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्र की सत्ता में आयी तबसे पढ़े लिखे लोग किसी शहर में चाय का दुकान खोल दे रहे हैं और उसको अपना हुनर मानते हैं जब आपको यही हुनर था तो आप पहले भी यह कार्य कर सकते थे चाय का दुकान खोल सकते थे । लेकिन आप ,अपना और सरकार का संसाधन लगाने के बाद यदि चाय का दुकान खोलते हैं तो वो विकास नहीं और न तो कोई हुनर है । आज बहुत सारे चाय दुकान खुल चुके हैं जैसे मै आपको कुछ उदाहरण देता हूं-
ग्रेजुएट चायवाली
डिप्लोमा डांसर चायवाला
पत्रकार चाय वाला
बेवफा चाय वाला
बी.टेक चायवाला
MBA चायवाला

अब आप बताइए लगभग कोई भी अब डिग्री धारक नहीं बच गया है जो चाय नहीं बेचता है। आज चाय का स्टॉल लगाकर मीडिया यू ट्यूब चैनल को बुलाकर वाहवाही कमाना हो गया है । मै तो इसका जिम्मेदार छात्र और सरकार दोनों को मानता हूं यदि सरकार सही समय पर संसाधन उपलब्ध कराए तो छात्र उसका उपयोग कर अपना जीवन में बहुत कुछ कर सकता है और छात्र भी ठान ले तो वो कुछ भी कर सकता है जब एक छात्र सॉफ्टवेयर पढ़ाई किए बगैर गूगल को हैक कर सकता है। किसी ने प्लास्टिक से पेट्रोल बना दिया वो भी क्लास आठ का छात्र ने तो आप तो अच्छे डिग्री अच्छे कॉलेज और विश्वविद्यालय से लिए है फिर आप क्यों नहीं कर सकते।

हमारी सरकार में भी बहुत कमियां है:

हमारे मंत्री और राजनेता खुले मंच से जब ये बयान देते हैं कि आप पकौड़ा तले आप चाय बेचे हमारे यहां तो नदी है ही नहीं उद्योग लग नहीं सकता है तो मै रोजगार नहीं दे सकता तो समझ जाइए की उस राज्य और देश की जनता के साथ क्या होगा जनता क्या सोचेगी फिर छात्र चाय का स्टॉल लगायेगा ही और अपने पड़ोसी ,देश तथा राज्य में वाहवाही तो कमाएगा लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारा भारतीय साख का क्या होगा फिर विदेशी तो हमे ये कहेंगे की भारत में तो इंजीनियर, डॉक्टर , पत्रकार सभी चाय ही बेचते हैं ।

सरकार को सोच बदलने की जरूरत है और इनको हुनर युक्त पढ़ाई की सुविधा देने की जरूरत है।

ये लेख संजय कुमार यादव की कलम से है