डोनाल्ड ट्रंप के तमाम दावों को खारिज करते हुए अमेरिका की जनता ने उन्हें और उनकी पार्टी को नकार दिया है, जो बाइडेन अमेरिका के नए राष्ट्रपति घोषित हो चुके हैं.

लेकिन यहां सवाल यह है कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में क्यों चुनाव हार गए और नरेंद्र मोदी भारत में 2019 का लोकसभा चुनाव कैसे जीत गए? अमेरिका फर्स्ट का नारा देकर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे. पिछले दिनों संपन्न हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रवाद के मुद्दे को जिस तरह से हवा दी थी, बिल्कुल उसी तरह से भारत में भाजपा छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर देश की जनता को बरगलाने की कोशिश करती है.

मोदी अथवा भारतीय राजनीति में भाजपा की सफलता से प्रेरित होकर उसी तरीके से अमेरिका की जनता को बरगलाने की कोशिश डोनाल्ड ट्रंप ने की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हुए. अमेरिका को नस्लवाद और क्रिश्चियन एवं मुसलमान के बीच बांटने की अपनी तरफ से डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी कोशिश की लेकिन वह उसमें भी कामयाब नहीं हुए. जो बाइडेन यूनाइटेड अमेरिका के नारे के साथ लगातार चुनाव प्रचार करते रहे और अंत में उन्हें कामयाबी मिली.

जो बाइडेन ने अमेरिकी मुसलमानों को और पूरे अमेरिका को यह विश्वास दिलाया था कि यहां किसी भी प्रकार से मेरे राष्ट्रपति रहते हुए धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होगा, अमेरिकी जनता को उनकी यह बात पसंद आई और अमेरिकी जनता ने जो बाइडेन को रिकॉर्ड मतों से राष्ट्रपति पद पर बिठा दिया. डोनाल्ड ट्रंप जब राष्ट्रपति बने थे उस समय भी वह झूठ के पहाड़ पर खड़े होकर चुनाव जीते थे, हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाकर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने थे. इस बार भी उन्होंने जो बाइडेन के खिलाफ वही तरकीब अपनाने की कोशिश की जिसे अमेरिकी जनता ने नाकाम कर दिया.

इतना ही नहीं डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में पाकिस्तान के नाम का हर चुनाव में उपयोग व लाभ देखकर, चीन का हौव्वा भी खड़ा करना चाहा पर वो उसमें भी विफल रहे. डोनाल्ड ट्रंप को आसमान से जमीन पर लाने में अमेरिकी मीडिया ने भी अपना पूरा योगदान दिया. डोनाल्ड ट्रंप जब से राष्ट्रपति बने थे तब से ही अमेरिकी मीडिया और वहां के पत्रकार लगातार डोनाल्ड ट्रंप से मुद्दों पर सवाल करते थे, उनकी नीतियों पर सवाल करते थे, उनके झूठ को उन्हीं के सामने बेनकाब करते थे.

पूरे 4 साल अमेरिकी मीडिया डोनाल्ड ट्रंप से सवाल करती रही, उनकी नीतियों की आलोचना करती रही, मतों की गिनती के दौरान तो अमेरिकी मीडिया ने डोनाल्ड ट्रंप की लाइव कवरेज तक यह कहते हुए रोक दी कि राष्ट्रपति ट्रंप झूठ बोल रहे हैं. क्या यह भारत में संभव है? पिछले 6 सालों के दौरान देखा गया है कि भारतीय मीडिया सत्ता पक्ष के सामने घुटने टेक चुकी है, सत्ता पक्ष से सवाल करने की जगह भारतीय मीडिया उल्टे सत्ता पक्ष की प्रचार एजेंसी बनकर रह गई है.

सत्ता पक्ष द्वारा प्रचार के नाम पर जो भी योजनाएं लांच की जाती है, उसका घंटो प्रचार-प्रसार भारतीय मीडिया करती हुई दिखाई देती है, लेकिन वह योजनाएं धरातल पर कितनी कामयाब हुई, कुछ महीनों या कुछ सालों बाद भारतीय मीडिया उसका विश्लेषण तक नहीं करती. भारतीय मीडिया प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी द्वारा दिए गए अगले टारगेट का प्रचार करने में लग जाती है.

नोटबंदी और जीएसटी को अभूतपूर्व और ऐतिहासिक फैसला बताकर मौजूदा सत्ताधारी पार्टी भाजपा और मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी ने प्रचारित किया था. पूरे देश को लाइन में लगा दिया गया था, कहा गया था कि इससे आतंकवाद खत्म हो जाएगा, कालाधन खत्म हो जाएगा, इससे गरीबों को फायदा होगा. आज 4 साल पूरे हो गए नोटबंदी को, देश की आम जनता को इससे क्या लाभ हुआ? नोटबंदी का मकसद क्या था? आतंकवाद पर इसका कितना असर हुआ? इनके और इन जैसे अन्य कई प्रश्नों के भारतीय मीडिया के पास कोई जवाब नहीं है और भारतीय मीडिया इस पर कोई विश्लेषण करने के लिए भी तैयार नहीं है.

जीएसटी से व्यापारियों को, छोटे कारोबारियों को क्या लाभ क्या हानि हुआ? जीएसटी से टैक्स कलेक्शन कितना बढ़ा? यह बताने की हालत में मौजूदा भारत की सरकार भी नहीं है और मीडिया भी इस मुद्दे पर सवाल पूछने की हैसियत में नहीं है. मोदी भारत में हिंदू-मुसलमान करने में, पाकिस्तान को ही भारतीय प्रतिद्वंदी स्थापित करने में कामयाब हो गए. देश को धर्म के आधार पर बांटकर और पुलवामा के मुद्दे पर जबरन युद्धोन्माद पैदा कर अपनी चुनावी रोटियां सेकने में कामयाब हो गए. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ना तो अमेरिकी जनता को नस्लभेद, ना ही धर्म के आधार पर बांट सके और ना ही मेरे राष्ट्रपति पद से हटते ही 20 दिन में अमेरिका पर चीन का कब्जा हो जाएगा, जैसे बयान पर अमेरिका जनता को विश्वास दिला सके

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चाल और पैंतरे मोदी और ट्रंप दोनों ने एक जैसे चले, परंतु परिणाम बिल्कुल विपरीत रहे तो इसका सबसे बड़ा कारण मीडिया ही है. जहां भारतीय मीडिया अपने प्राइम टाइम में लगातार हिंदू-मुस्लिम, पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर डिबेट करा कर देश की जनता को गुमराह करती रहती है, वहीं अमेरिकी मीडिया ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था, वैश्विक साख, आपदा प्रबंधन, उद्योग-रोजगार और कानून व्यवस्था को प्राथमिकता दी. हिंदू मुस्लिम मुद्दा या कहें की धर्मोन्माद का मुद्दा प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी भाजपा का है, जो भारत में भले प्रभावी हो लेकिन अमेरिका में वास्तविक मुद्दों के आगे ये फर्जी मुद्दा भरभरा कर गिर गया.

जिस दिन यह मुद्दा भारत में भी घुटनों के बल गिरा उस दिन भाजपा का भी घुटनों के बल आना तय है. एक देश का राष्ट्राध्यक्ष जाकर दूसरे देश की किसी पार्टी का चुनाव प्रचार करता है, इसका देश की विदेश नीति और अंतर्राष्ट्ररीय संबंधों पर क्या असर होता है? अगर दूसरे देश में कोई दूसरी पार्टी चुनाव जीत जाती है तो यह भी विश्लेषण हमारी भारतीय मीडिया करती हुई आज नजर नहीं आ रही है. भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में जाकर डोनाल्ड ट्रंप का चुनाव प्रचार किया था और कहा था कि अबकी बार ट्रंप सरकार. भारतीय मीडिया और यहां के कुछ पत्रकार तो यहां तक कह रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी का झुकाव जिसके तरफ होगा वही अमेरिका का राष्ट्रपति बनेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के लिए प्रचार किया है और प्रधानमंत्री मोदी ही तय करेंगे अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा. अब डोनाल्ड ट्रंप चुनाव हार चुके हैं और भारतीय मीडिया बेगैरती के साथ बेहयाई पर भी उतर आई है, भारतीय मीडिया अब यह प्रचार कर रही है कि जीता तो भारत ही है. जबकि यदि जो बाइडेन ने मोदी द्वारा ट्रंप के प्रचार का संज्ञान ले लिया तो भारत के लिए आने वाला समय आर्थिक और सामरिक रूप से बहुत विकट होगा.

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अमेरिका की जनता भी डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और उनके मुद्दों के खिलाफ रही है और भारत की जनता भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों के खिलाफ है. बिहार से आए एग्जिट पोल के नतीजे भी इस ओर इशारा कर रहे हैं कि बिहार की जनता पूरी तरीके से प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर नकार चुकी है. बिहार चुनाव के समय भारतीय मीडिया प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी भाषणों को घंटों कवरेज दे रही थी,अब जब बिहार की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी को नकार दिया है तो भारतीय मीडिया का कहना है कि बिहार की हार नीतीश कुमार की हार है.

भारतीय मीडिया इसको मोदी की हार बताने से बच रही है. ठीक उसी तरह जैसे जो बाइडेन की जीत को भी भारतीय मीडिया मोदी की जीत बता रही है. अमेरिकी मीडिया ने जिस तरह से डोनाल्ड ट्रंप के झूठ को एक्सपोज किया, डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की आलोचना की, डोनाल्ड ट्रंप पर सवालों की बौछार की, अगर वही काम भारतीय मीडिया कर दे तो बिहार के साथ-साथ पूरे देश से भाजपा साफ हो जाएगी.