कोरोना संक्रमण के मामले में उत्तर प्रदेश उन सात राज्यों में से एक है, जिसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को हिदायत दी है कि वो अपने राज्यों में टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और सर्विलांस को बेहतर बनाने की दिशा में ध्यान दें।

पीएम मोदी की इस हिदायत को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करते नज़र आ रहे हैं। वो टेस्टिंग और ट्रीटमेंट पर ध्यान देने के बजाए सूबे में नए फिल्म सिटी के निर्माण की तैयारी करते दिखाई दे रहे हैं।

दरअसल, सीएम योगी ने ग्रेटर नोएडा में नई फिल्म सिटी बनाने की घोषणा कर दी है। इस फिल्म सिटी के निर्माण के लिए यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे 1000 एकड़ ज़मीन चिंहित भी कर ली गई है।

रिपोर्ट्स की मानें तो यह भारत की सबसे बड़ी फिल्म सिटी होगी। जिसके निर्माण में कई हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मोटी-मोटी मान के चलें तो इस फिल्म सिटी को बनाने में जितना खर्च किया जाएगा, उतने में सूबे में कई सरकारी अस्पतालों का निर्माण किया जा सकता है।

सोशल मीडिया पर इसके निर्माण के ऐलान की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। लोगों का सवाल है कि कोरोनाकाल में जब लोगों को सबसे ज़्यादा अस्पतालों की ज़रूरत है, ऐसे में फिल्म सिटी के निर्माण की घोषणा करना कितना उचित है?

रोज़गार और बेहतर स्वास्थ्य की मांग करने वाला तबका भले ही सोशल मीडिया पर सीएम योगी के इस फैसले की आलोचना कर रहा हो, लेकिन ज़ी न्यूज़ के डीएनए कार्यक्रम में सीएम योगी के इस फैसले को क्रांतिकारी बताया गया है।

डीएनए में बताया गया है कि सीएम की इस घोषणा से हिंदी भाषी प्रदेश को अपना फिल्म सिटी मिल जाएगा, जिससे हिंदी फिल्म उद्योग में मुंबई की बादशाहत को चुनौती मिलेगी।

डीएनए में बताया गया कि इस फिल्म सिटी के निर्माण के बाद हिंदी भाषी प्रदेशों के कलाकार मुंबई जाने के बजाए यूपी में ही काम करेंगे, जिससे बॉलीवुड में कब्ज़ा जमाए कलाकारों का वर्चस्व ख़त्म हो जाएगा।

हालांकि यहां ये नहीं बताया गया कि बॉलीवुड में कब्ज़ा जमाने वालों में ज़्यादातर हिंदी भाषी प्रदेश के ही कलाकार हैं। अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान और शत्रुह्न सिन्हा जैसे बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार हिंदी भाषी प्रदेशों से ही आते हैं।

डीएनए में बताया गया है कि सीएम की इस घोषणा से हिंदी भाषी प्रदेश को अपना फिल्म सिटी मिल जाएगा, जिससे हिंदी फिल्म उद्योग में मुंबई की बादशाहत को चुनौती मिलेगी।

डीएनए में बताया गया कि इस फिल्म सिटी के निर्माण के बाद हिंदी भाषी प्रदेशों के कलाकार मुंबई जाने के बजाए यूपी में ही काम करेंगे, जिससे बॉलीवुड में कब्ज़ा जमाए कलाकारों का वर्चस्व ख़त्म हो जाएगा।

हालांकि यहां ये नहीं बताया गया कि बॉलीवुड में कब्ज़ा जमाने वालों में ज़्यादातर हिंदी भाषी प्रदेश के ही कलाकार हैं। अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान और शत्रुह्न सिन्हा जैसे बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार हिंदी भाषी प्रदेशों से ही आते हैं।

ज़ी न्यूज़ के इस भ्रामक आंकलन की मानें तो हिंदी फिल्म उद्योग में मुंबई की बादशाहत को महज़ चुनौती देने के नाम पर सरकारी खज़ाने से हज़ारों करोड़ रुपए खर्च किए जा सकते हैं! बात चुनौती की आई है तो ज़ी न्यूज़ को ये भी बताना चाहिए कि सीएम योगी कोरोना संक्रमण को चुनौती देने के लिए क्या क्रांतिकारी कदम उठा रहे हैं?

चैनल को बताना चाहिए कि फिल्म सिटी निर्माण की घोषणा करने वाले सीएम योगी आख़िर कोरोना से निपटने के लिए कितने अस्पतालों को बनाने का ऐलान कर रहे हैं?