इंडियन एक्सप्रेस ‌की खबर के अनुसार घटना 4 मार्च 1984 की है। जब मुलायम सिंह अपनी एक सभा समाप्त कर मैनपुरी जिले के कुर्रा थाने के माहीखेड़ा गांव से होकर वापस इटावा लौट रहे थे।

असल में उस समय विधान परिषद में विपक्ष के नेता मुलायम सिंह विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर कई दिनों से क्षेत्र में जनसभाओं को संबोधित कर रहे थे। ऐसी ही एक सभा को संबोधित कर वह वापस लौट रहे थे।

बाद में घटना के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए मुलायम सिंह ने बताया था कि चार मार्च की शाम पांच बजे के करीब उन्होंने इटावा-मैनपुरी की सीमा पर बसे झिंगपुर गांव में एक जनसभा को संबोधित किया था।

इसके बाद वह यहां से माहीखेड़ा गांव में अपने एक दोस्त से मिलने के लिए निकले। उससे मुलाकात के बाद वह रात 9.30 बजे मैनपुरी के लिए निकले। वह दोस्त के घर से कुछ ही दूर पहुंचे होंगे तभी उन्हें अपनी कार के आगे किसी तेज धमाके की आवाज सुनाई दी।

ड्राइवर ने खिड़की से बाहर झांककर देखा तो पता चला कि उनकी गाड़ी से आगे चल रहा बाइक सवार नीचे गिर गया है और इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता उनकी गाड़ी पर भी फायरिंग शुरू हो गई।

हालांकि तुरंत ही मुलायम के साथ चल रहे पुलिसवाले ने भी जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। इसी बीच उन्होंने किसी तरह नीचे बैठकर जान बचाई। आधे घंटे बाद हमलावरों के हथियार जब शांत पड़े तो पुलिस ने सुरक्षा घेरे में लेकर उन्हें 5 किलोमीटर दूर कुर्रा पुलिस थाने पर पहुंचाया।

हमले में मुलायम की गाड़ी के आगे चल रहे बाइक सवार शिक्षक की हो गई थी मौत

पुलिस ने घटनास्‍थल की जांच पड़ताल शुरू की तो वहां मुलायम की गाड़ी से आगे चल रहे बाइक सवार छोटेलाल का शव पड़ा था। वो एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे और अपने घर लौट रहे थे।

हमलावरों की फायरिंग से मुलायम की गाड़ी पर गोलियों के 9 निशान बन गए थे। इसके अलावा मुलायम के साथ चल रहे नेत्रपाल भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। मुलायम ने बदमाशों का मुलाबला करने वाले पुलिसकर्मी के प्रमोशन की सिफारिश भी की थी।

बाद में मुलायम ने हमले के बारे में बात करते हुए किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन कहा था कि यह पूरी तरह उनकी हत्या की सुनियोजित साजिश थी। भगवान की कृपा से मैं बच गया। मुझे कई बार इस बात की चेतावनी दी गई थी कि मुझ पर हमला किया जा सकता है लेकिन मैंने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया।

घटना वाले दिन मुलायम की एक बैठक में मौजूद रहे करहल के एमएलए नाथू सिंह यादव उस घटना को याद करते हुए बताते हैं कि उस दौरान इटावा और मैनपुरी के लोकदल कार्यकर्ता लगातार डर के साये में जी रहे थे।

वहीं हमले का आरोप उस समय कांग्रेस नेता रहे बलराम सिंह यादव पर लगा था। आज बलराम सिंह यादव मौजूदा सपा सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री हैं।