ये दो तस्वीरें कल की है। पहली तस्वीर में मोदी अटल टनल में अदृश्य जनता को हाथ हिला रहे है। अभी मोदी जी का पूरा वीडियो देखा, पूरी टनल खाली पडी हुई है और मोदी सिर्फ कैमरे को देख कर हाथ हिला रहे है।
मोदी जिस कद के नेता है उन्हें कोई जरूरत नहीं थी इस तरह की हरकत करने की लेकिन उनका कैमेरा प्रेम जो न कराए वो कम है। कहते हैं, जैसे सूरजमुखी का फूल सूरज की स्थिति के अनुसार अपनी दिशा बदल लेता है, उसी प्रकार मोदीजी कैमरे को देखते ही बेसुध हो पोज़ देने लगते हैं।
यह कोई पहली घटना नही है। 2015 में रूस यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक रूसी अधिकारी ने तब टोका जब वह कैमरे को देखते हुए भारत का राष्ट्रगान बजाए जाने पर भी चल पड़े।
ऐसा ही कुछ फेसबुक हेडक्वार्टर में भी हुआ जहां वे क्वेश्चन एंड एंसर सेशन में मार्क जकरबर्ग के साथ थे सेशन खत्म होने के बाद एक महिला ने पीएम मोदी को एक गिफ्ट दिया जिसे वो देख रहे थे इस दौरान उनके साथ जकरबर्ग भी खड़े थे। पर जुकरबर्ग गलती से पीएम मोदी और कैमरे के बीच आ गए उन्हें मोदी ने तुरंत हटने के लिए कहा।
जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी और सलाहकार इवांका ट्रंप भारत आई तो हैदराबाद के ग्लोबल आंत्रप्रेन्योर समिट में हुए कार्यक्रम के दौरान मोदी और इवांका शामिल हुए तभी वहां पर मौजूद कई मीडिया वाले दोनों की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैप्चर कर रहे थे।
पीएम मोदी की नजरें कैमरे की ओर लगातार बनी हुई थी। अचानक एक शख्स उसके बीच में आ गया उसे भी इशारा कर के अपने बगल में आने के लिए उन्होंने कहा।
पुर्तगाल के लिस्बन में संबोधन के बाद पीएम मोदी ने कैंसर फाउंडेशन के गेट पर अपनी कार से उतरने से इनकार कर दिया, क्योंकि उस वक्त तक कैमरामैन पहुंचे नहीं थे। मोदीजी का कैमरे के प्रति लगाव किसी से छुपा नहीं है।
कभी मोर के साथ कभी बत्तखों के साथ पोज देकर मोदी प्रधानमंत्री भवन में भी PR एक्टिविटी करते रहते हैं।
अब इसकी तुलना में दूसरी तस्वीर देखिए। इस तस्वीर में प्रियंका गांधी हाथरस की पीड़िता की माँ के साथ है। यह बमुश्किल लो लाइट में खींची गयी तस्वीर है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि वह नैचुरल लगती है, प्रियंका ने पीड़िता की मां को गले लगा कर ढांढस बंधा रही है।
ऐसा नहीं लग रहा कि प्रियंका गांधी यह सोच कर गयी होगी कि पीड़िता की माँ को एक बार गले लगाना है। यह बस हो गया वाला पल है। प्रियंका ओर राहुल गाँधी हाथरस में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। और चटाई पर बैठकर उन्होंने एक घण्टे तक बातचीत की है।
इन दोनों तस्वीरो के निहितार्थ हमे समझने होंगे।
( यह लेख गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )