- रक्षाबंधन भाई -बहनों का प्यार जन्मों जन्म तक: संजय कुमार यादव। बहना तू समझदार हो, तुम बहना महान हो मै इस बर्फीली पहाड़ियों और झाड़ियों पर खड़ा रहकर पूरे देश की सेवा करता हूं लेकिन तुम तो अकेली ही मेरी सहायता के लिए मेरे कलाई मे राखी बांधती हो जिसके सहारे मै दुश्मनों से डटकर सामना करता हूं, बहना तुम मेरी रक्षवाहिनी हो बहना, तुम तो दुर्गा हो , बहना तुम तो लक्ष्मी हो , बहना तुम तो देवी हो , बहना लेकिन आज तुम सुरक्षित कम दिखाई देती हो, कहीं भी देखो तो तुम्हारी बलात्कार की खबर तो कहीं लव जिहाद का मामला , तो कही अग्निदाह के मामला , तो कहीं क्रूरता से तुम्हारी मौत की खबर पढ़, सुन मै सदमे मे आ जाता हूं क्या करोड़ों मे तुम्हारे भाई तुम्हारी रक्षा करने मे अयोग्य है।। रक्षाबंधन से तात्पर्य है वैसा रक्षा (सिक्यूरिटी), जो धागा के रूप मे रक्षाबंधन के दिन भाई के कलाई में बहनो के द्वारा बंधा जाता है जो ये साबित करता है की भाई किसी भी दुःख की घड़ी हो या सुख की घड़ी सभी समस्याओं और खुशियों मे बहनों के साथ खड़ा रहेगा। ये बंधन भाई और बहनों के प्यार को बांध कर रखता है
भाई को न तो बहन से अलग होने देता है और बहन को न तो भाई से अलग होने देता है। शादी के बाद यदि कोई गहरा बंधन है तो वो है रक्षाबंधन जिस धागे को संकल्प लेकर भाई किसी भी वक्त बहन को रक्षा करने के लिए तत्पर रहता है। बहन के आंखों की आंसू का ढाल बनकर रहने वाला भाई, बहन के आंख मे आंसू नहीं देखना चाहता है। यदि एक बार अनजाने मे बहन के आंख से आंसू निकल भी जाए तो भाई का कलेजा फट जाता है और धागे बंधाई का दिन अर्थात् रक्षाबंधन का दिन याद आता है और भाई ,बहन के आंख के आंसू के लिए पूरी दुनियां से लड़ सकता है मां और पिता के लिए न लड़ने वाला,भाई ,बहन के लिए रुद्र रूप दिखाता है। लेकिन कमबख्त एक दिन ऐसा आता है की बहन सबको रुलाकर ससुराल चल जाती है और उस दिन सबको रुला भी जाती है और भाई कुछ भी नहीं कर सकता बल्कि उस दिन उसके आंसू मे सहयोग कर उसको बिदा करना ही उचित समझता है और फिर उस दिन के बाद दीदी, बहन आप एक मेहमान बनकर रह जाती है और आपका मेरे से मुलाकात साल भर किसी दिन भले न हुआ हो लेकिन रक्षाबंधन के दिन आप मुझे खोज निकालती है। बहन तुम एक दिन सद्स्य थी हमारे घर और इस परिवार की आज तुम तो भूल कर मेहमान , अतिथि बन गई। बहन तुम जाकर भी मेरे साथ हो क्यों की बहना ये तेरा जो रक्षा की धागा है न सालोभर मेरे घर मे पड़ा रहता है, बहना
मै तुमको इस रक्षा के बंधन मे अपने आप के अलावा मेरे पास वैसी कोई बहुमूल्य वस्तु नही है की मै तुमको दू। बहना तुम इस विश्व मे सबसे अलग हो तुम बहना मेरे लिए सब कुछ हो मै तुम्हारी प्यार को सलाम करता हूं। बहना तुम मेरे लिए ब्रह्माण्ड हो तो मै तुम्हारे लिए लिए उस ब्रह्माण्ड का हवा हू, बहन तुम तकनीक हो तो मै उसके लिए रॉ मैटेरियल हूं, बहन तुम असमान हो तो मै तुम्हारे लिए असमान का तारा हू जो आपके सपनो मे तारे के रूप मे दिखाई देता हूं, बहना तुम आंसू हो तो मै तुम्हारे लिए आंख हू, बहना तुम जल हो तो मै उसका धारा हूं , इसीलिए बहना ये प्यार अटूट है कभी टूटने वाला नही है।
बिहार के उभरता हुआ युवा पत्रकार संजय कुमार का निजी विचार है