देश के हर विभाग के हर वर्ग के व्यक्ति को सरकार ने कुछ ना कुछ दिया है या उनके बारे में सोचा है मगर देश के पीडीएस डीलर आज भी गेहूं के साथ घुन की तरह पिस रहे हैं मतलब साफ है सरकार सस्ते गल्ले की दुकान को कार्य करने वाले व्यक्ति को सस्ते में ही निपटाना जान चुकी है इसकी वजह सरकार को भी पता है सस्ते गल्ले का जो व्यापारी है उनके कई मत है कोई मानदेय के लिए लड़ रहा है तो कोई कमीशन के लिए इसलिए जब तक देश के पीडीएस डीलर एक मंच पर एक मत खड़े नहीं हो जाते संभव नहीं सरकार डीलरों के हक में कोई फैसला ले क्योंकि किसी को कमीशन से फायदा है और जो मानदेय मांगते हैं उन्हें कमीशन से कोई फायदा नहीं मतलब एक होना पड़ेगा 9 सूत्री मांगों को न रखकर 5 सूत्री मांगों को न रखकर एक ही सूत्री मांग रखो और वह मांग है मानदेय अगर मानदेय मिल जाता है तो इसमें सब की भलाई है कमीशन में छोटे दुकानदारों का बहुत बड़ा नुकसान है एक सर्वेक्षण के अनुसार एक एवरेज मिडिल क्लास दुकानदार के पास न्यूनतम राशन कार्ड 150 होते हैं सरकार के आंकड़ों के हिसाब से 150 राशन कार्ड हिसाब से 75 राशन कार्ड एनएफएसए के होते हैं इसी तरह 75 राशन कार्ड पर प्रति परिवार पांच व्यक्ति के हिसाब से 375 यूनिट बनती है 375 यूनिट 5 किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से उस दुकानदार का कोटा बनता है 18 कुं 75 किलो
18 कुंटल 75 किलो के हिसाब से वर्तमान समय में जो कमीशन दुकानदार का बनता है वह है ₹180 प्रति क्विंटल के हिसाब से रुपए 3375 अब आइए एपीएल राशन कार्ड जो उत्तराखंड राज्य सरकार उपभोक्ताओं को देती है साडे 7 किलो प्रति कार्ड
यानी कि 75 कार्ड आईपीएल के एक मिडिल क्लास दुकानदार के पास है तो 75 कार्ड ×7:500 किलो चावल बराबर 5 कुंटल 62 किलो यानी कि 5 कुंटल 62 किलो का जो कमीशन राज्य सरकार प्रदान करती है उत्तराखंड में ₹50 क्विंटल के हिसाब से महीने में ₹281 बनता है अब ए पी एल प्लस एनएफएसए को जोड़ा जाए जो कमीशन दुकानदार के हिस्से आया वह है एनएफएसए 3375 रुपए+281=(3656)एक मिडिल क्लास दुकानदार का कुल कमीशन( 3356) रुपए महीने का
यह सर्वेक्षण काफी सोच समझ कर के लिया गया है
अब आई है वास्तविक खर्चे पर दुकानदार क्या पाता है और क्या खोता है आज की महंगाई के दौर में मजदूरी करने वाला व्यक्ति भी प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी ₹500 मांगता है उसी हिसाब से आकलन किया जाएगा
1-पीडीएस डीलर की न्यूनतम मजदूरी 30 दिन×500 रुपए बराबर 15000 रुपए
2-डीलर के सहायक तोड़ने वाले मजदूर की न्यूनतम मजदूरी 30 ×500 बराबर ₹15000
3-क्योंकि दुकान हमारी है इसलिए न्यूनतम किराया वर्तमान समय के हिसाब से ₹3000
4-स्टेशनरी एवं नेट पैक का न्यूनतम खर्चा 1 महीने का ₹500
5-इलेक्ट्रॉनिक तराजू एवं पीओएस मशीन इलेक्ट्रिक के जरिए इसलिए बिजली का बिल न्यूनतम ₹800
6-दुकान से गोदाम में चालान लगाने के लिए हर महीने जाना होता है इसलिए डीडीए का खर्चा रुपए 500
7-अतिरिक्त खर्चे में जैसे इलेक्ट्रॉनिक तराजू पर सत्यापन फीस साइन बोर्ड एवं रंग रोगन इत्यादि न्यूनतम रु 500
साथियों टोटल जो खर्चा दुकानदार का माना गया है( ₹35300) महीना आप महीने में कमाते हैं कमीशन से (₹3656 )रुपए बाकी आप समझदार हैं घर से कितना देते हैं और बाकी अगर देते नहीं है तो यह सरकार की नौकरी शेष पैसों में होती है जिससे हम फोकट में करते हैं और सारे भाइयों ने इसी तरह के आकलन करते हो आदे पीडीएस भाई लोगों ने तो काम छोड़ दिया जो आज काम कर रहे हैं उनके पास इस काम के अलावा कुछ अन्य काम के स्रोत हैं इसलिए मजबूरन काम कर रहे हैं इसी आस में कि सरकार कभी हमारे बारे में सोचेगी मगर सरकार कब सोचती है संगठन को पहले सोचना पड़ेगा जो लोग काम कर रहे हैं ओ मजबूरन कर रहे हैं काम छोड़ने में अपने आप को शर्मिंदा महसूस समझते हैं क्योंकि उनके पास सिर्फ आस है कि सरकार आज नहीं तो कभी उनके बारे में जरूर मानदेय देने पर मजबूर होगी हां अगर संगठन मजबूत होगा तो निश्चित है यह काम मुकाम तक पहुंचने वाला है लेकिन 1 सूत्री मांग को लेकर चलना होगा कि देश के हर डीलर को मानदेय मिलेगा इसी में सबका साथ सबका विकास है मेरा सर्वेक्षण आपको कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर लिखने का कष्ट करें और अच्छा लगे तो शेयर भी करें देश के प्रत्येक डीलर को मेरा नमन है कि हमारी मुराद हमारी मांगे सरकार जरूर मानेगी मगर हमको एक होना होगा धन्यवाद नमस्कार

नौटियाल सुरेश 🙏