पाक अधिकृत कश्मीर में गिलगित-बाल्टिस्तान को अब इमरान की सरकार की तरफ से गलत तरिके से अंतरिम प्रान्त का दर्ज़ा दे दिया है और उसी के बाद से यहां चुनाव का एलान कर दिया गया है। लेकिन अब इमरान खान की पार्टी के मंत्रियो की तरफ से क्षेत्र में राजनितिक अभियान चलाकर चुनाव आचार संहिता के उल्ल्घन पर गिलगित-बालितस्तान की सबसे मुख्य अदालत ने अब उनको कड़ी फटकार लगाई है और तीन दिन में उस क्षेत्र को छोड़ने को भी बोला गया है।
‘द न्यूज’ की रिपोर्ट के हिसाब से जस्टिस मलिक हक नवाज और जस्टिस अली बेग की दो सदस्यीय खंडपीठ ने आगामी चुनावो से पहले आचार संहिता को लेकर एक दायर एक रिट याचिका पर ये फैसला सुनाया है कि अदालत ने संघीय मंत्रियो और अधिकारियो को तीन दिनों में इलाका खली करने का आदेश देते हुए अब गिलगित-बाल्टिस्तान के मुख्य चुनाव में आयुक्त किया गया राजा शाहबाज खान को जो मुख्य सचिव और सीएम को ये निर्णय जल्द ही लागु करने को भी बोल दिया है। इससे पहले भी पाकिस्तान के पीपुल्स पार्टी के नेता शेरी रहमान ने इस क्षेत्र में इमरान खान और उनके मंत्रियो पर राजनितिक अभियान चलाया आचार संहिता के उल्ल्घन की भी शिकायत की थी। उसके बाद रहमान ने ये बोला कि पीएम इमरान खान और एक संघीय मंत्री अमिन यहां अवैध रूप से अपना पार्टी अभियान चला रहे है।
गिलगित-बालितस्तान क्षेत्र एक ऐसा इलाका है जहा हमेशा ही वि-वाद होते रहते है। अब पाकिस्तान की तरफ से इसे राज्य का दर्ज़ा देने पर भारत अब कड़ा विरोध कर रही है। जबकि यहां के जितने भी स्थानीय निवासी है वो पाकिस्तान के साथ नहीं है। ये लोग इस्लामाबाद के इस फैसले का लगातार विरोध कर रहे है और वो अ वैध रूप से पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्र को एकीकृत करने के फैसले के खिलाफ हथि-यार बंद है।
पाकिस्तानी मूल की मानवाधिकार कार्यकर्त्ता गुललाई इस्माइल ने ये बोला है कि पाक अधिकारी आ-तंक-रोधी, साइबर अ-पराध और देश में आ-तंकवा-द को खत्म करने की कार्रवाई करने की बजाय असन्तुष्टो की आवाज दबा रहे है। उनका एक पीटीएम हुआ था तब उन्होंने वहा ब्यान भी दिया था और वहा उन्होंने ये बोला था कि ये अधिकारी इसके लिए दे-शद्रो-ही कानून का भी यूज किया है। उसके बाद पीटीएम में अभी कुछ टाइम पहले ही नेशनल प्रेस हुई थी उसमे एक क्लब में एक आधिकारिक इवेंट लांच हुआ उसमे वाशिंगटन में सिंधी प्रवासियों को मिलाकर काफी सारे लोगो को एक साथ मिलाया गया और उसी में से अहमद पश्तीन्न डावर और अब्दुल्ला नांग्याल जैसे कई नेता भी शामिल थे।