देश में अधिकतर समय तो कांग्रेस ने ही शासन किया हैं इस अटल सत्य को किसी भी स्तर से नकारा नहीं जा सकता। इसी बात का फायदा नरेंद्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव में उठाया। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी इस बात को लेकर खूब प्रचार किया कि कांग्रेस राज में देश डूब गया, बर्बाद हो गया, देश पर लाखो करोड़ रूपए का कर्ज हैं।

नरेंद्र मोदी और बीजेपी के इस बातों को देश की जनता ने बहुत ही गम्भीरता से लिया और स्वीकार किया. जिसका नतीजा ये निकला की वर्षों पुरानी पार्टी कांग्रेस का सूफड़ा साफ़ हो गया और बीजेपी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार केंद्र में बनी. जनता को इस सरकार से काफी उम्मीदे थी. जैसे देश पर बढ़ रहे कर्ज को कम करना, ब्लैक मनी को वापस लाना।

आज नरेंद्र मोदी को जनता ने दोबारा बहुमत के साथ प्रधानमंत्री चुना। लेकिन आज एक बड़ा सवाल खड़ा होता हैं क्या जनता से किये वादे सरकार भूल गयी हैं या जनता खुद को ठगा महसूस करने लगा हैं. या फिर जनता भूल गयी हैं सवाल करना जैसे 2014 में कांग्रेस की सरकार से जनता सवाल करती थी?

सड़कों पर अन्ना के साथ बाबा रामदेव के साथ कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनता जैसे उतरी थी। यही बढ़ते कर्ज, बढ़ते ब्लैक मनी के खिलाफ आज वह जनता कहां हैं? क्या जनता को याद भी हैं 2014 के समय देश पर कुल कर्ज कितना था? क्या जनता को पता है नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद देश पर कुल कितना कर्ज बढ़ा हैं? या कितना कर्ज घटा हैं? कभी अपने आप से लोगों ने सवाल किया है। जिस मुद्दों को लेकर पिछली सरकार को हटाया था। उसके खिलाफ आंदोलन किया था आज उस मुद्दों के बारे में एक बार भी लोगों ने जानने की कोशिश किया वह मुद्दा आज कम हुआ हैं या बढ़ा है?

चलिए आप शायद भूल गए होंगे लेकिन मैं आपको वहीं पिछली बातों पर थोड़ा ध्यान दिलाने की कोशिश करता हूं। क्या आपको पता है जब आपने सड़कों पर ये कहकर विरोध किया था कि कांग्रेस ने देश को लूट लिया है। बर्बाद कर दिया है। विदेशों से खूब कर्ज लिया है। उस समय देश पर कुल कितना कर्ज था? हम बताते हैं उस समय देश पर कुल कर्ज 54.90 लाख करोड़ था। ये कर्ज 1947 से लेकर 2014 तक तमाम सरकारों ने लिया था। यानी 67 साल के शासन में जिसमे कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता पार्टी सेक्युलर, समाजवादी जनता पार्टी, जनता दल, BJP, और पता नहीं कितनी सरकारों ने शासन किया और कर्ज लिया था लेकिन आरोप कांग्रेस पर लगता आया है।

यहां इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि ये कर्ज कुल 67 साल के शासन में लिया गया है जब देश में खाने की किल्लत थी। बिजली नहीं था। पानी नहीं था। अच्छे स्कूल कॉलेज अस्पताल नहीं था। एक तरह से आप कह सकते हैं अंग्रेजों ने लूट खसूट कर देश को जंगल बना कर छोड़ दिया उस समय से तमाम सरकारों ने कर्ज ले ले कर भारत को विकासशील देश बनाया। मजबूत देश बनाया। सड़क, स्कूल, कॉलेज अस्पताल की लाइन लगा दी। हर तरह से तमाम सरकारों ने मिलकर उस भारत को एक ऐसा देश बनाया जिससे बड़े बड़े देश भी अब डरते हैं। तब जाकर 67 सालों में देश पर कुल कर्ज 54.90 लाख करोड़ हुआ।

अब जरा गौर करिए। मोदी सरकार जब सत्ता में आया तब देश पर कर्ज था 54.90 लाख करोड़। लेकिन आज नरेंद्र मोदी को सत्ता में आए हुए छह साल हो गए और जो 54.90 लाख करोड़ का कर्ज था वह घटने के बजाय बढ़ते बढ़ते जून 2020 के अंत तक 101.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यानी नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस छह साल में ही करीब 47 लाख करोड़ का कर्ज लिया है। यानी कि एक तरफ 67 सालो में 54.90 लाख करोड़ का कर्ज़ ! वही मोदी के 6 सालो में 47 लाख करोड़ का कर्ज़।

अभी हाल में ही एक रिपोर्ट आया हैं जिसमें कहा गया कि केंद्र सरकार की कुल देनदारियां जून 2020 के अंत तक बढ़कर 101.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गयीं। जबकि साल भर पहले यानी जून 2019 के अंत में सरकार का कुल कर्ज 88.18 लाख करोड़ रुपये था। यानी एक मोटा हिसाब लगाए तो हर महीने एक लाख करोड़ से भी अधिक का कर्ज मोदी सरकार देश की जनता पर चढ़ाती आ रही है अगर इस हिसाब से देखे तो जुलाई-अगस्त-सितम्बर में हम पर तीन लाख करोड़ का कर्ज़ ओर चढ़ गया है।

सरकार का जून अंत तक कर्ज 101.3 लाख करोड़ है इसमे तीन महीने का तीन लाख करोड़ ओर जोड़ दे तो यह 104 लाख करोड़ से ज्यादा हो जाता है। अब जरा सोचिए कि इन छह सालों में कितना काम हुआ? कितनी नौकरियां लगी? कितने रेलवे लाइन बना? जबकि आजकल तो अख़बार को उठा कर देखेंगे तो सिर्फ निजीकरण की खबरें मिलेगी। कभी रेलवे का तो कभी एलआईसी का तो कभी एयरपोर्ट का। फिर बड़ा सवाल तो आज ये खड़ा होता है आखिर इतना कर्ज लेकर भी निजीकरण नरेंद्र मोदी सरकार कर रही है तो सारा पैसा जा कहां रहा है?

सबसे बड़ी बात तो ये भी हैं की देश की बहुमूल्य मुद्रा का सबसे बड़ा इस्तेमाल कच्चे तेल की खरीद में जाता है लेकिन इस मामले में तो नरेंद्र मोदी बहुत ही नसीब वाले रहे हैं 2014 में उनकी सरकार आने के बाद बाद कच्चे तेल के दाम लगातार नीचे जाते रहे 2018 में जरूर कुछ बढ़े थे लेकिन कुल मिलाकर देखा जाए तो कच्चे तेल की खरीद में मोदी सरकार को बहुत फायदा हुआ है तो फिर इतना अधिक कर्ज कौन से खर्च को निपटाने में निकल गया? जबकि पेट्रोल डीजल पर मोदी सरकार ने बेतहाशा एक्साइज ड्यूटी बढाई है !

यह लोग न्यू इंडिया बनाने की बात करते हैं, बताइये! ऐसे बनाया जाएगा न्यू इंडिया देश को कर्ज में डुबोकर? जरा सोचिए कहां गई वह जनता कहां गए वह बाबा रामदेव, कहां गए वह अन्ना हजारे जो इसी मुद्दे को लेकर 2014 से पहले हर रोज सड़कों पर धरना देते थे। आज वे लोग कहां है जिनको लगता था कि कांग्रेस ने देश को बेच दिया हैं देश को बर्बाद कर दिया है। आज जरूरत है आप टीवी के हिन्दू मुस्लिम पाकिस्तान चीन के डिबेट छोड़ कर गूगल पर इस आर्टिकल के बारे में खोज कर पढ़िएगा समझने की कोशिश करिएगा। आप कहाँ हैं. किस तरह से लोगों ने राजनितिक दलों ने आपका इस्तेमाल किया हैं.

(ये ब्लॉग लेखक दीपक राजसुमन के व्यक्तिगत विचार हैं )