केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक बार फिर से मुश्किलों में घिरती हुई नजर आ रही है। राफेल विमान सौदे में कमीशनखोरी का खेल हुआ था, अब इस पर एक फ्रांसीसी वेबसाइट ने मुहर लगा दी है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले दिनों लगातार राफेल में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर पीएम मोदी पर हमलावर थे। इसी दौर में चौकीदार चोर है का नारा देश भर में गूंज रहा था।

दरअसल फ्रांसीसी मीडिया पोर्टल मीडिया पार्ट ने राफेल सौदे से जुड़ा एक आर्टिकल राफेल पेपर्स के नाम से प्रकाशित किया है, जिसमें यह दावा किया गया है कि राफेल सौदे में भ्रष्टाचार एवं कमीशनखोरी हुई थी।

इस आर्टिकल में कहा गया है कि वर्ष 2016 में जब इस डील पर हस्ताक्षर हुए थें तभी फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी एएफए को इसमें हुई कमीशनखोरी की भनक मिल गई थी।

एएफए को पता चल गया था कि राफेल निर्माण करने वाली कंपनी दासौ एविएशन ने एक दलाल को 10 लाख यूरो कमीशन देने पर सहमति जताई थी।

हैरान करने वाली बात तो यह थी कि ये दलाल पहले से एक अन्य हथियार सौदे में गड़बड़ी का आरोपी था।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 के अक्टूबर महीने में फ्रांस की पब्लिक प्रोसिक्यूशन एजेंसी पीएनएफ को राफेल सौदे में कमीशनखोरी की भनक मिल गई थी।

इसके बाद फ्रेंच कानूनों को ध्यान में रखते हुए दासौ एविएशन पर जांच एजेंसियों की निगरानी शुरु हो गई थी। दसौ एविएशन का ऑडिट भी हुआ. इस ऑडिट में क्लाइंट को उपहार देने के नाम पर 508925 यूरो के खर्च का पता चला।

रिपोर्ट में जो बात निकल कर सामने आई है उसके अनुसार दासौ एविएशन ने एएफए को जो बिल मुहैया कराया वो भारत की डेफसिस सॉल्यूशन्स की ओर से दिया गया था।

यह बिल राफेल के 50 मॉडल बनाने के लिए दिए गए ऑर्डर के काम का आधा था। इस काम के लिए प्रति मॉडल 20357 यूरो का बिल थमाया गया।

अक्टूबर 2018 के मध्य में एएफए ने दासौ एविएशन से पूछा कि आखिर आपने अपनी ही कंपनी के विमान के लिए मॉडल क्यों बनवाए और इसके लिए 20 हजार यूरो की मोटी रकम क्यों खर्च की गई? उनसे ये भी पूछा गया कि राफेल के इन मॉडल्स का क्या प्रयोग हुआ? इसे कहां लगाया गया ?

जिस वक्त देश के पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं, उसके बीच में राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार एवं कमीशनखोरी का सामने आना भारतीय जनता पार्टी और पीएम नरेंद्र मोदी के लिए चिंता का सबब बन सकता है।