भारत, अर्थात् हिंदुस्तान को ही हिंदू समर्थक लोग असली नाम मानते है। इंडिया को अंग्रेजो का नाम कहकर खारिज कर देते है। उसी प्रकार हिन्दू राष्ट्र बतलाने वाला संगठन और राजनीतिक पार्टियां_शिवशेना, आर एस एस, विश्व हिन्दू परिषद ने अखण्ड भारत से आशय आज के भारत के नक्शा से नहीं बल्कि पहले के वो सभी राज्य और राष्ट्र जो की भारत से अलग हुए है उन सभी से है। जिसमे, पाकिस्तान, बंगलादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान, और पूर्वी एशिया का भी कुछ क्षेत्र को मानते है। आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत तो यहां तक भी अपने स्पीच में कहा करते है की बीना अखण्ड भारत के भारत एक हिंदू राष्ट्र नही बन सकता है। आपको मै ऊपर जो तस्वीर देखा रहा हू वहीं है अखण्ड भारत की तस्वीर जिसपर आज भी राजनैतिक संबंध खटास लेने का काम करती है। एक समय था की इस तस्वीर को काफिरों ने तोड़ा और भारत को पूरा अंदर तक लूटा और सोने की चिड़िया वाले भारत को आर्थिक, सांस्कृतिक, और राजनैतिक रूप से कमजोर कर लोहा की चिड़िया बना दिया। भारत हमेशा अखण्ड रहा है और आज भी अखण्ड है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रसोची श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी कहा करते थे की भारत धर्म और धर्म को जातियों में बांट कर एक हिन्दू और अखंड राष्ट्र नही बन सकता है । इसीलिए हमे ये जरूरत है की हम सभी धर्म और जाति के लोग मिलकर भारत को एक अखण्ड राष्ट्र बनाए बरना भारत और टुकड़ा हो सकता है। आज भारत में वैसी ही स्थिति हो गई है कि लोग अखण्ड राष्ट्र का बात न करके अपने जाति विशेष से इतिहास को परिभाषित कर रहे है। मै आपको एक उदाहरण देता हू कुछ दिन पहले बीपीएससी ने अपना रिजल्ट डिक्लेयर की जिसमे जिस जाति के लोग सफलता प्राप्त किए थे उनको उस समाज के संगठन के तरफ से सम्मानित किया गया फेसबुक पर पोस्ट किया गया क्या मालवीय , श्यामा मुखर्जी जी का यहीं अखण्ड भारत है। विश्व को वैसुधैव कुटुम्बकम का पाठ पढ़ाने वाला भारत आज खुद उस पाठ को भूल रहा है। क्या कोरोमंडल तट पर उगने वाला उत्पाद को मलाबार तट नहीं खाता है क्या मुसलमानों के द्वारा बेचे जा रहे कपड़ो को हिंदू नहीं पहनता फिर तब हम आज क्यों लड़ रहे है। हमे तो मिलकर अपने महापुरुषों के सपनों को पूरा करना चहिए न की लड़ाई