• भोजपुरी में टुनटुन यादव का होने लगा विरोध गाना बजना हुआ बंद।

     

    टुनटुन यादव का गाना जब भी आता है तो बवाल मच जाता है । टुनटुन यादव भी अपने जाति पर ही गीत गाना ज्यादा पसंद करते है अच्छी बात है जब इनका जाति इनके गाने से विकास करेगा तो इनको गाना लिखना चाहिए लेकिन हमें नहीं लगता है कि यादव के लोग इनका गाना बजाकर विकास करेंगे अब यादव के लड़के तो इनके बयान और गाना को ही सुनना ज्यादा पसंद कर रहे है । जिससे ये लग रहा है कि इनके जाति के लोग केवल गाना बजाकर ही बाहुबली हो जायेंगे ।

    यदि टुनटुन यादव को गीत ही गाना है, तो  यादव के इतिहास पर गाते ,वीरगाथाएं गाते तब इनका समाज में मान्यता होता समाज के इतिहास के बारे में लोग जानते और कुछ उस पर काम करते पढ़ाई करते रिसर्च करते तो विकास होता। अब बताइए जहां एक घर यादव होता होगा क्या इनका गाना फुल साउंड देकर बजा पायेगा जी नहीं फिर उसके साथ तो ये अन्याय कर रहे है । शादी विवाह में इनके गीत पर विवाद हो  रहा है फिर वहां पर विवाद का निपटारा कर पा रहे हैं टुनटुन यादव जी नहीं फिर टुनटुन यादव के द्वारा गाया जा रहा गाना केवल इनको लाभान्वित कर रहा है इससे कोई यादव जाति का लाभ नहीं है। यदि भोजपुरी समाज को बचाना है तो आप भोजपुरी में जातिवाद गीत सभी गायक गाना बंद कर दे भोजपुरी बॉलीवुड से भी आगे चला जायेगा।

  • भाई यादव का इतिहास बहुत लंबा है  यादव  भगवान श्रीकृष्ण , लोरिक ,सवरू के वंशज है। यादव क्षत्रिय होते हैं वो समाज , गरीब के लिए लड़ते अपना प्राण दे देते हैं और आप जो है की यादव को गीत में फंसा कर रखे हैं राजनीति यादव का मजबूत है और आप उसे खोखला कर रहे हैं। अब आपके गाने से यादव का लड़का आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, बिजनेस मैन और इंजीनियर नहीं बन पायेगा अब आपका गीत ही जरूरी है।
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    इन दिनों टुनटुन यादव का गीत पर विवाद हो गया है जिसमें टुनटुन यादव गाते दिखे है की रातभर नचाइब रेे माही मनीषा के हई मरद रंगबाज । जिस पर टुनटुन यादव को कुछ लोग वीडियो बनाकर टुनटुन यादव एवं यादव जाति को गाली भी दे रहे हैं। आप वीडियो देखे

     

    इसीलिए मै बार – बार लिखता हूं बोलता हूं कि भोजपुरी में गीत जाति वाला गा कर आप अपना राजस्व तो क्रिएट कर लेंगे लेकिन भुगतान करना पड़ेगा जाति और समाज को इसीलिए जाति वाला गीत आने वाला समय में बंद होना चाहिए नहीं तो हम राजनीति में तो जाति को बांट ही लिए है अब संस्कृति में भी जाति को बांट लेंगे

    ये संजय यादव के कलम से